उत्तर प्रदेश-मेरठ में क्लास के व्हाट्सएप ग्रुप से लड़कियों के नंबर लेकर उन पर अश्लील मैसेज भेजे गए। नतीजतन एफआईआर हुई और लड़के-लड़कियों के ग्रुप अलग कर दिए गए। गोरखपुर में ऐसी ही घटना पर उस नंबर को ब्लॉक कर दिया गया। सूबे में व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से पढ़ाई क्या शुरू हुई, कई समस्याओं ने जन्म ले लिया। लैंगिंक समानता की बातें धरी रह गईं लिहाजा अब अभिभावक समेत शिक्षक भी चिंतित हैं।
प्राइमरी व माध्यमिक के सरकारी, सहायता प्राप्त स्कूलों में शुरू हुईं व्हाट्सएप कक्षाएं कुछ शरारती तत्वों की वजह से नई मुसीबत का सबब बन गई हैं। मेरठ व गोरखपुर में तो पुलिस में शिकायतें भी दर्ज हुईं लेकिन ज्यादातर लोग इससे बच भी रहे हैं। बरेली की एक शिक्षिका का कहना है कि हम इन सबमें फंस जाएंगे तो पढ़ाएंगे कब? शिकायते हैं कि लड़के तंग कर रहे हैं। हम अपने स्तर से समाधान निकाल रहे हैं। कई अभिभावकों ने तो शिकायत के बाद ग्रुप ही छोड़ दिया है। उन्हें लगता है कि पढ़ाई के बहाने कहीं लड़की बहक न जाए।
बच्चे के पिता गांव की महिला को करने लगे परेशान
प्रदेश में नए खुले सारे राजकीय स्कूलों में सहशिक्षा दी जाती है। सरकारी प्राइमरी स्कूलों में भी एक लाख से ज्यादा व्हाट्सएप ग्रुप से पढ़ाई शुरू हो चुकी है। बुंदेलखण्ड के एक गांव में व्हाट्सएप ग्रुप बना तो पहले तो पिता ने अपने बच्चे की मदद की। इसके बाद उसने यहां से नंबर लेकर गांव की एक महिला को तंग करने लगा। महिला का पति अहमदाबाद में लॉकडाउन में फंसा है। गांव वालों की मदद से उसने छुटकारा पाया।
अभिभावकों-शिक्षकों की है शिकायत
– सुबह 8 से 2 बजे तक कक्षाएं हो रही हैं लेकिन बच्चे स्मार्टफोन पर पढ़ाई के अलावा और कुछ करते मिल रहे।
– कई जगह शिक्षिकाओं को भी अश्लील मैसेज आने लगे हैं।
– अभिभावकों को डर है कि इंटरनेट पर बहुत कुछ मौजूद है। ऐसे में बच्चे के हाथ में स्मार्टफोन आ गया है तो उसे सही-गलत कौन बताएगा?
-अभिभावक इतने सक्षम नहीं कि वे बच्चों की इंटरनेट सर्फिंग पर नजर रख पाएं।
-शिक्षकों को डर है कि स्कूल खुलने के बाद उन्हें लड़के-लड़कियों पर ज्यादा नजर रखनी पड़ेगी क्योंकि उनके बीच रिश्ता बना तो स्कूल में भी वे मिलेंगे।
-आज भी ज्यादातर स्कूलों में यौन शिक्षा पर खुल कर बात नहीं होती ऐसे में विद्यार्थी अधकचरे ज्ञान के साथ हैं।
ऐसे हो रही है पढ़ाई
माध्यमिक स्कूलों ने कक्षावार और विषय वार ग्रुप बना रखे हैं। इनमे एक दिन पहले सारा वीडियो व अन्य शिक्षण सामग्री पोस्ट कर दी जाती है। वहीं कक्षा के समय विद्यार्थियों की शंका का समाधान किया जाता है। एक ग्रुप में विद्यार्थियों के अलावा क्लास टीचर, विषय के शिक्षक, प्रिंसिपल के अलावा डीआईओ या अन्य अधिकारी जुड़ते हैं।
–आराधना शुक्ला, प्रमुख सचिव, माध्यमिक शिक्षा का कहना है कि हमें दो जगह से शिकायतें मिली हैं और वहां कार्रवाई भी की गई। दरअसल पंजीकरण के समय बच्चों ने गलत या अन्य लोगों के नम्बर दिए थे जिसकी वजह से दिक्कत हुई। हम इसे लेकर सतर्क हैं। सबको निर्देश दे दिए गए हैं कि इस तरह की किसी भी घटना में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाए। ्