लखनऊ। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर मंगलवार को इको-सोशलिज्म मंच द्वारा सण्डीला, हरदोई में पेप्सी के कारखाने के बाहर व सफेदाबाद, बाराबंकी में कोका कोला कारखाने के बाहर प्रदर्शन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। रेमेन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता डॉ संदीप पाण्डेय ने कहा कि पेप्सी व कोका कोला के देश भर में कोई 90 कारखाने हैं जो प्रत्येक स्थान से 5 से 15 लाख लीटर पानी जमीन के नीचे से रोज निकाल रहे हैं। इन दो अमरीकी कम्पनियों का शीतल पेय के 95 प्रतिशत बाजार पर कब्जा है जिनकी वजह से हमारा भूगर्भ जल स्तर नीचे जा रहा है। वाराणसी का अराजीलाइन विकास खण्ड जहां मेहदीगंज गांव में कोका कोला का कारखाना है ’अति दोहित’ श्रेणी में पहुच गया है। एक लीटर शीतल पेय बनाने के लिए 2.5 से 3 लीटर पानी लगता है। पानी की बरबादी। इन दो कम्पनियों के 1,200 बोतलबंद पानी के कारखाने हैं। ये 50 प्रतिशत बाजार पर काबिज हैं। पानी हमारा, मुनाफा अमरीकी कम्पनियों का। शीतल पेय कारखानों के कचरे में कैडमियम, क्रोमियम व लेड जैसे खतरनाक तत्व होते हैं। कैडमियम, क्रोमियम कंैसर पैदा करते हैं व लेड बच्चों के बौद्धिक विकास में बाधक होता है। सेण्टर फाॅर साइंस एण्ड एनविराॅनमेण्ट ने पता लगाया कि भारत में बिकने वाले शीतल पेय में चार प्रकार के कीटनाशक हैं-लिण्डेन, डी.डी.टी., क्लोरोपायरीफाॅस व मैलाथियाॅन। ये कम्पनियां राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश कि बोतल पर शीतल पेय में कीटनाशक व रसायनों की मात्रा लिखनी होगी की अवमानना करती हैं। उन्होंने कहा कि कोका कोला इस शर्त के साथ आई थी कि 49 प्रतिशत निवेश का हिस्सा जनता का होगा, की अवहेलना कर रही है। इसी वजह से कोका कोला को 1977 में एक बार देश से बाहर किया जा चुका है। भारत पेप्सी के 5 बड़े बाजारों में से एक है। यह कम्पनी इन वायदों के साथ आई थी कि 50,000 लोगों को रोजगार देगी, 74 प्रतिशत निवेश खाद्य व कृषि प्रसंस्करण उद्योग में करेगी, 50 प्रतिशत उत्पादन निर्यात करेगी व कृषि अनुसंधान केन्द्र खोलेगी जिनको इसने पूरा नहीं किया।प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुए उन्होंने अपील करी कि यदि हमें अपना पानी बचाना है तो पानी के निजीकरण व बाजारीकरण पर रोक लगानी होगी और इन दो बड़ी अमरीकी कम्पनियों को भारत के बाहर करना होगा। इको-सोशलिज्म मंच के बैनर तले प्रदर्शन को गुरुमूर्ति मातृबूथम, बेंगलूरू, संदीप पाण्डेय, अशोक भारती, हरदोई तथा सर्फराज अहमद ने सम्बोधित किया।