न्यूज वाणी ब्यूरो/विष्णु सिकरवार ब्यूरो
आगरा- एसएन मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों की एक और लापरवाही सामने आई है। इमरजेंसी से भर्ती मरीज को भगा दिया। घर पहुंचने के दो दिन बाद मरीज की मौत हो गई। परिजन पुलिस और कंट्रोल रूम में नंबर पर फोन लगाते रहे, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। इंद्रापुरम दयालबाग निवासी भरत सिंह 45 को लिवर में संक्रमण था। यह जूता की फैक्ट्री में काम करते थे। इनके बेटे बबलू ने बताया कि पांच मार्च के एसएन में दिखाया था, जहां इनको जयपुर में इलाज कराने के लिए कहा था। जयपुर में इलाज से पिता की हालत में सुधार हो रहा था। लॉकडाउन के चलते वह पिता को जयपुर दिखाने नहीं जा पाए। यहीं के निजी अस्पताल में जैसे-तैसे इलाज करा रहे थे। बीते चार-पांच दिन में हालत खराब हुई, निजी अस्पताल में डॉक्टरों ने कोरोना वायरस की जांच कराके रिपोर्ट मांगी। इस पर एसएन में ही इलाज कराने के लिए 11 मई को इमरजेंसी में भर्ती करा दिए। यहां नमूने लेने की बात कहते हुए चिकित्सकों ने कहा कि तीन दिन क्वारंटीन वार्ड में भर्ती रहेंगे। पूरा इलाज मिलेगा, तुम घर चले जाओ। कोई बात होगी तो फोन पर बताते रहेंगे। विगत 12 मई की शाम को छह बजे के करीब पिताजी बदहाल घर पहुंचे। पूछने पर बताया कि डॉक्टरों ने तीन बजे इमरजेंसी से निकाल दिया है। बेटे का आरोप है कि पिता के पास सिर्फ एक सादा कागज में दवा लिखी थी, डॉक्टरों ने मुझे फोन भी नहीं किया। पिताजी अर्द्धमूर्छित हालत में थे। प्राइवेट अस्पताल में दिखाने गए तो एक बार फिर कोरोना वायरस की रिपोर्ट मांगी। इस पर एसएन इमरजेंसी के डॉक्टरों को फोन किया तो पांच मिनट में रिपोर्ट देने की बात कही। फिर फोन किया तो डॉक्टर अभद्रता करते हुए गाली देने लगे। शुक्रवार की सुबह साढ़े चार बजे उनकी मौत हो गई। कंट्रोल रूम में फोन किया तो कहा कि डिस्चार्ज कर दिए होंगे। 112 नंबर पर पुलिस बुलाई तो वह भी देखकर लौट गई। दोषी डॉक्टरों पर हो कार्रवाई, जिससे किसी और की न जाए जान. मृतक के बेटा बबलू का कहना है कि बिना सूचना दिए गंभीर हाल में पिता को निकाल दिया, ऐसे चिकित्सकों पर कार्रवाई हो, जिससे किसी और मरीज के साथ ऐसा न हो और किसी की लापरवाही से जान न जाए।