पत्रकारों के हस्तक्षेप पर बेसिक विभाग के आधिकारी पत्रकारों पर ही लगाने लगे आरोप।
लखनऊ। यूपी सरकार जनहित, समाजहित और प्रत्येक वर्ग हेतु विकास के लिये योजनाओं को अमली जामा पहनाने के प्रयास में तल्लीन दिख रही है, परन्तु कुछ बिगड़ैल और पूर्व सरकार के हितैषी आधिकारी जानबूझ कर सरकार के कामो को पलीता लगाने में दिनरात लगे हुए हैं। इसी की बानगी लखीमपुर खीरी के खण्ड शिक्षा अधिकारी हैं, जो वास्तविकता से परे कागज़ी कार्रवाई करने तथा चौथे स्तंम्भ के कार्यो को फ़र्ज़ी और अपराध की श्रेणी में मानते हैं?
*बेसिक शिक्षा का स्तर दिन प्रतिदिन घटाता जा रहा है? कारण एक नही अनेक है। वही कुछ शिक्षक तो ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठ के साथ अपनी ड्यूटी को अंजाम देने मे लगे हुए है परन्तु इन शिक्षको को जो सम्मान विभागयी स्तर पर मिलना चाहिये वह इनको नही प्राप्त हो रहा है।
ताज़ा उदाहरण जनपद लखीमपुर खीरी का हैं, जब एक पत्रकार द्वारा एक प्राथमिक विद्यालय मलिकपुर, विकास खंड बेहजम खीरी का स्थलीय निरीक्षण किया तो अनेक त्रुटि उजागर हुई जिसमें बच्चो की संख्या में कमी होना, रसोईघर में गन्दगी का मिलना, फायर सिलेंडर की रिफलिंग ना होना, विद्यालय प्रांगण में गन्दगी का ढेर लगा होना, विद्यालय कक्ष की खिड़की का टुटा होना तथा शौचालय में विकराल गन्दगी का मिलना तथा बच्चो एवं महिला शिक्षको को शौचालय हेतु दूर दूर तक कोई उचित साथ नही मिला। जब प्रथमिक विद्यालय से सम्बन्धित शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल (आईजीआरसी) पर की गयी तो बीएसए ने इसकी जांच विकासखण्ड बेहजम को प्रेषित किया, खण्ड शिक्षा अधिकारी बेहजम ने शिकयतकर्ता (सवांददाता) से दूरभाष पर बात किया तो खण्ड शिक्षा आधिकारी की वार्ता में गुस्से का भाव, देख लेने जैसी हनक स्पष्ठ प्रतीत हो रहा था वही यह भी आभास हो रहा था कि सभ्य समाज से परे कोई आधिकारी दूरभाष पर वार्ता अथवा जाँच सम्बधी जानकारी प्राप्त करने का प्रयास गैर ज़िम्मेदाराना प्रतीत हो रहा था वही यह भी स्पष्ठ हो रहा था कि खण्ड शिक्षा अधिकारी को अपने क्षेत्र अंतर्गत विद्यालय की शिकायत उचित नही लगी और उन्होंने सवांददाता को अपने काम से काम रखने की हिदायत देने से गुरेज़ तक नही किया। जब सवांददाता को यह प्रतीत हुआ कि एबीएसए ने विद्यालय को अमली जामा ना पहनाते हुए विभाग को गुमराह करने का भरपूर प्रयास तथा कागज़ी खनापूर्ति कर आख्या को इतिश्री कर लिया है, तो सवांददाता ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर पुनः एबीएसए द्वारा दूरभाष वार्ता का ज़िक्र तथा विद्यालय में कोरे आश्वासन का ज़िक्र करते हुए शासन एवं विभाग के उच्चाधिकारियों द्वारा हस्तक्षेप करने का आग्रह किया गया, शासन द्वारा एबीएसए तथा विद्यालय प्रांगण में उपस्तिथित कमी को दूर करने हेतु पुनः बीएसए खीरी को जांच करने हेतु शिकायत प्रेषित की गयी, तो बीएसए की सूझबूझ और अनुभव का अंदाज़ा इससी से लगाया जा सकता है कि शिकयतकर्ता की जाँच उसी आधिकारी को प्रेषित की गई जो स्वयं जाँच को कोरे आश्वासन तथा बेसिक विभाग के अधिकारियों को गुमराह करने का कार्य कर रहे हैं।
*उत्तर प्रदेश सरकार में ऐसे आधिकारियो की फ़ेहरिस्त हैं जो पूर्व सरकार में बढ़ चढ़ अपने दायित्यों एवं ज़मीनी स्तर पर कार्य कर रहे थे परंतु योगी सरकार की विकास योजनाओं को पलीता लगाने एवंम सरकार विरोधी कार्यो को अंजाम देने में लगे हुए हैं।
वही इन आधिकारयो की आँखे खोलने का कार्य जब मिडिया करती है तो एबीएसए(वि०ख०-बेहजम, जनपद खीरी) जैसे आधिकारी भय का वातावरण बनाने जैसे शब्दों का प्रयोग करते हुए शासन और प्रशासन को गुमराह करने का भरसक प्रयास कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार क्या ऐसे बिगड़ैल अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करेंगा वरना यही आधिकारी आगामी चुनाव में सरकार के विरुद्ध अपनी ड्यूटी को अंजाम दे कर गड्ढे खोदने का काम करते रहेंगे।