व्यवस्थाओं की पोल खोलते मीलो पैदल सफर करते मजबूर मजदूर! वैश्विक महामारी कोविड 19 की रोक लॉकडाऊन ने खोल दी पूरी पोल!

न्यूज वाणी ब्यूरो
शाहजहाँपुर- भारी भरकम व्यवस्थाएं पूरी तरह नजर अन्दाज नही की जा सकती लेकिन व्यवस्थाएं धरातल पर न हो कर सिर्फ टेलीविजन स्क्रीन तक ही सीमित हो तो उनका बखान करना उस कमजोर तिनके की तरह होती हैं जो हल्की सी हवा का झोका उसमें बुरी तरह कम्पन पैदा करता है और वो जल्द ही उखड़ कर दूर जा गिरता है! मजबूत व्यवस्थाओं के चलते कोरोना की हिम्मत नही पड़ रही है कि वो एक को भी अपनी गिरफ्त में ले सके, लेकिन यह और बात है कि जहाँ पूरे देश में कोरोना संक्रमितो की संख्या लगातार तेजी से बढ़ते हुये एक लाख चालिस हजार पार करने की सीमा पर खड़ी है तो ग्रह जनपद में अब तक 17 हो चुकी है! हांलाकि यह संख्या काफी लम्बे उस समय शून्य रही जब कोरोना के मात्र खौफ की अफरातफरी ने प्रशासनीय स्तर पर पूरी सख्ती बरतने का काम किया! चीन के बुहान से निकला, पूरी दुनियाँ में दस्तक देता हुआ दहशतंग का माहौल बनाता कोविड 19 से निपटने के लिए 25 मार्च 2020 से तीन दिन के साथ ही लगातार बढ़ाया जाने वाला लॉकडाऊन पूरी सख्ती के साथ पालन कराये जाने के साथ भी मानव जीवन पर रत्तीभर असर डालने में कामयाब नही हो सका क्यूंकि देश में बसने वाले गरीबो को सरकार से मिलने वाली मदद का भले ही बंदरबांट किया गया हो लेकिन जमीनी स्तर पर महानगरो से लेकर ग्रामीण अंचलो तक इंसानियत की मजबूत डोरी पकड़े इंसानो के रूप में मदद करते देवता के सरीखे नजर आये और वे आज भी नजर आ रहे हैं! विडम्बना की कहा जायेगा कि भारी भरकम व्यवस्थाओं से लबरेज देश की मजबूत सरकार प्रवासी नामक मजदूरो को गैर राज्य जनपदो से उनके घरो को पहुंचाने में गंभीरता के साथ व्यवस्थाओं में कमी नही छोड़ी लेकिन इसके बाद भी राष्ट्रीय राज मार्गो पर लाखो की संख्या में महिलाएं, बच्चे और बूढ़े लगातार मीलो लम्बा सफर पैदल ही करते नजर आ गये! लाखो की संख्या में चल रहे देशवासियों ने उस मजबूत व्यवस्था से अनायास ही पर्दा उठा दिया जो विगत के छरू वर्षो से हाई क्लास से लेकर स्थानीय स्तर तक प्रचार के रूप में चर्चा का विषय बना रहा! मजबूत व्यवस्थाओं से पर्दा उठाने की पूरे प्रयास में लगा कोरोना वायरस का संदिग्धता पर शासन प्रशासन द्वारा स्थापित किये कोरेंटाईन सेंटरो पर तैनात कर्मचारी भी, व्यवस्था की पोल खोलने में कोई कोर कसर बाकी नही रख रहे हैं क्यूंकि कहीं किसी सेंटर पर सांप के काटे जाने से मृत्यु होने की खबर तो, सेंटर कहीं सफाई के नाम पर कूड़ेदान का रूप लिए बैठे हैं, कोरोना संभावित की जांच के रूप में निभाई जाने वाली थर्मल स्क्रिनंग फॉर्मल्टी भी ठीक से अदा न हो कर उन्हे यूँ ही घरो को भेजा जाने का काम बखूबी अंजाम दिया जा रहा है! व्यवस्थाएं किसी की किसी भी रूप में हो लेकिन राष्ट्रीय स्तर से व्यवस्थाओं में कमी तो उसी की निकाली जाती रही है जो वर्तस्व में हो, और वर्तमान में वर्तस्व जिसका भी हो शिकायत भी उसी से किया जाना चाहिए, शिकायत करने का तरीका अपना अपना भिन्न भिन्न हो सकता है परन्तु समाज को आईना दिखाती मीडिया तो अपने ही तरीके से ही दिखाती आई है जिसे एक वर्ग विशेष बिरोध का नाम दे सकता है!

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