न्यूज वाणी ब्यूरो
इटावा। भरथना विधायक सावित्री कठेरिया ने कहा कि वैश्विक तापन के कारण ही टिड्डियों की संख्या में तीव्र वृद्धि हुई। वर्ष 1950 के बाद टिड्डियों का ऐसा हमला पहली बार देखा जा रहा है। शोर मचाकर या ध्वनि यंत्रों से भगा सकते हैं। टिड्डी दल का प्रकोप होने पर तत्काल किसान टोली बनाकर विभिन्न तरह के पारंपरिक उपाय जैसे शोर मचाकर, अधिक ध्वनि वाले यंत्रों को बजाकर या पौधों की डालों से अपने खेत से टिड्डी दलों को भगा सकते हैं। जनपद के गाँवों में भारी मात्रा में टिड्डियों के झुंड आ चुके हैं, जिससे खड़ी फसल को भारी नुकसान है। और कहा टिड्डी एक प्रकार के उष्णकटिबंधीय कीड़े होते हैं। जिनके पास उड़ने की अतुलनीय क्षमता होती है। आमतौर पर जुलाई-अक्तूबर के महीनों में इन्हें आसानी से देखा जा सकता है क्योंकि ये गर्मी और बारिश के मौसम में ही सक्रिय होती हैं। अच्छी बारिश और परिस्थितियाँ अनुकूल होने की स्थिति में ये तेजी से प्रजनन करती हैं। अनुकूल परिस्थितियों में एक दल में करीब 8 करोड़ टिड्डियां होती हैं, जो हवा के रुख के साथ प्रतिदिन 150 किमी तक की यात्रा कर सकती हैं। टिड्डी दल अपने रास्ते में आने वाले सभी प्रकार की फसलों एवं गैर-फसलों को चट कर जाता है।