न्यूज वाणी ब्यूरो
अमेठी। क्षेत्र इस समय अधिकतर किसान धान की रोपाई करने में व्यस्त है परन्तु जो किसानों ने किसी कारणवश धान की नर्सरी नही तैयार कर पाए थे या उनकी नर्सरी कम पड़ गयी है तो ऐसी परिस्थितियों में ड्रम सीडर मशीन से धान की सीधी बुवाई करें। उक्त बातें कृषि विज्ञान केन्द्र, कठौरा, अमेठी के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ आर के आनन्द ने बतायीं। उनके अनुसार इस समय इस तकनीकी से सीधी बुवाई करने के लिए कम अवधि की धान की प्रजातियों जैसे नरेन्द्र 97, सहभागी, नरेन्द्र लालमती, शुष्क सम्राट, आदि की ही बुवाई करें। ये प्रजातियां एवं ड्रम सीडर तकनीकी वर्षा आधारित एवं कम पानी की उपलब्धता वाले क्षेत्रों के लिये काफी उपयुक्त है। डॉ आनन्द ने बताया कि ड्रम सीडर मशीन में 4-5 ड्रम के आकार के छोटे छोटे डब्बे लगे रहते है। जिनमे एक निश्चित दूरी पर छेद रहता है। बुवाई के पहले इन ड्रमों में हल्के अंकुरित बीज को भर देते है और मशीन को कीचड़ युक्त खेत मे हाथ से धीरे धीरे खींचते है जिससे खेत मे एक निश्चित दूरी पर अंकुरित बीज गिर जाता है और लाइनों में सीधी बुवाई ही जाती है। डॉ आनन्द ने बताया कि जिस प्रकार रोपाई के लिए खेत तैयार किया जाता है उसी प्रकार ड्रम सीडर से बुवाई के लिए खेत तैयार करे परन्तु यह जरूर ध्यान रखें कि खेत में ज्यादा पानी न हो, केवल कीचड़ हो। इस तकनीकी से धान की खेती में लागत कम आती है तथा जिसके सापेक्ष उत्पादन बेहतर रहता है। इस तकनीकी से खेती करने में काफी कम मजदूरों की आवश्यकता पड़ती है जिससे खेती की लागत काम हो जाती है। डॉ आनन्द ने यह भी सुझाव दिया कि धान की बुवाई से पूर्व बीज का शोधन जरूर कर लें।
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