कर रहा शातिर ।
अनुभव का प्रयोग ।।
फंदे से है बाहर ।
मिल रहा सहयोग ?
मारे मारे फिर रहा ।
आज तलाश दल ।।
गुस्से में जनमानस ।
कब मेहनत का फल ?
मानेंगे रसातल ।
ना जब तक परिणाम ।।
फरार है दुर्दांत ।
डूब रहा है नाम ।।
खुसफुसाहट-मिलीभगत ।
फितरत था बचाना ।।
मिली किसकी शह ।।
बन बैठा मनमाना ।।
कृष्णेन्द्र राय