नई दिल्ली। भारतीय रेल की लगभग सभी रेलगाड़ियों में बायो टॉयलेट लगाने के बाद अब उनकी जगह ‘उन्नत’ वैक्यूम बायो टॉयलेट लगाने पर विचार किया जा रहा है। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि विमानन कंपनियों के साथ बराबरी करने के लिए रेलवे अपनी सुविधाओं में सुधार कर रहा है और ट्रेनों में बायो टॉयलेट की जगह आधुनिक टॉयलेट लगाना इसी योजना का हिस्सा है। गोयल ने कहा, ‘हम विमानों की भांती ट्रेनों में भी प्रायोगिक तौर पर वैक्यूम बायो टॉयलेट लगा रहे हैं। करीब 500 वैक्यूम बायो टॉयलेटों का आर्डर दिया गया है। यह प्रयोग सफल होने पर मैं रेलगाड़ियों में लगे सभी 2।5 लाख बायो टॉयलेट को बदलकर वैक्यूम बायो टॉयलेट लगाने के लिए पैसा खर्च करने को तैयार हूं। रेल मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक 31 मई तक 37,411 डिब्बों में 1,36,965 बायो टॉयलेट लगाए गए हैं।
प्रत्येक टॉयलेट पर करीब एक लाख रुपये की लागत आयी थी। मार्च 2019 तक करीब 18,750 और डिब्बों में बायो टॉयलेट लगाए जाने की योजना है। इसी के साथ भारतीय रेलवे के सभी डिब्बों में इस तरह के टॉयलेट लग जाएंगे। इस पर करीब 250 करोड़ रुपये की लागत आएगी। गोयल ने कहा, ‘मार्च 2019 तक 100 प्रतिशत रेलगाड़ियों में बायो टॉयलेट लग चुके होंगे जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। रेल की पटरियां साफ होंगी, बदबू नहीं होगी और पटरियों के नवीकरण का भार भी कम होगा।’ उन्होंने बताया कि प्रति इकाई 2।5 लाख रुपये की लागत से तैयार होने वाले वैक्यूम टॉयलेट बदबू रहित होंगे। इसमें मौजूदा टॉयलेट के मुकाबले पानी का इस्तेमान पांच प्रतिशत कम होगा और इसके अवरुद्ध होने का अंदेशा भी बहुत कम होगा।