विकास दुबे मोस्ट वांटेड ने घर में बना रखा था वायरलेस कंट्रोल रूम, कई जाली पहचान पत्र बरामद, फाइनेंसर को एसटीएफ ने उठाया
कानपुर. डीएसपी समेत आठ पुलिसकर्मियों के हत्यारे मोस्ट वांटेड अपराधी विकास दुबे के खिलाफ जांच का पांचवा दिन है। मंगलवार को पुलिस की जांच में अहम खुलासा हुआ है। विकास दुबे ने अपने घर में एक वायरलेस कंट्रोल रूम बना रखा था। इसके इस्तेमाल वह अपने गुर्गों से संपर्क में बने रहने के लिए करता था। उसके घर से कई पहचान पत्र भी बरामद हुए हैं। जिन पर फोटो किसी की तो नाम व पते किसी और के हैं। आशंका है कि, इन पहचान पत्रों का इस्तेमाल विकास दुबे जमीनों की खरीद फरोख्त में करता था। अब तक की जांच में सामने आया है कि गैंगस्टर विकास दुबे ने अपने गुर्गों, रिश्तेदारों और नौकर-नौकरानी के नाम से कई चल और अचल संपत्तियां खरीद रखी थीं। विकास दुबे के इस जालसाजी के धंधे में उसका हर एक साथी बराबर से उसका साथ दे रहा था। आईजी रेंज कानपुर मोहित अग्रवाल का कहना है कि प्रथम दृष्टया इन फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल धोखाधड़ी और जालसाजी के लिए किया जाना प्रतीत होता है।साक्ष्य जुटाने के लिए बैंकों और फाइनेंस कंपनियों से भी संपर्क किया जा रहा है।एसटीएफ गैंगस्टर विकास दुबे के सहयोगी ब्रह्मनगर निवासी जय बाजपेयी को हिरासत में लिया है। टीम उसे कानपुर से लेकर लखनऊ पहुंची है। बताया जा रहा है कि, करीब हजार करोड़ रुपए की संपत्ति का मालिक जय बाजपेयी विकास दुके के सभी काले कारोबार को देखता था। उसकी अघोषित संपत्तियों को ठिकाने लगाने के साथ विकास दुबे का पैसा रियल इस्टेट और शराब के कारोबार में भी लगाता था। जय बाजपेयी को विकास दुबे का फाइनेंसर बताया जा रहा है। एक हफ्ते पहले उसने विकास के खाते में 15 लाख रूपए ट्रांसफर किए थे। एसटीएफ उससे लखनऊ में पूछताछ कर रही है। दरअसल, रविवार को काकादेव में तीन लावारिस कारें बरामद हुई थी। शक है कि, विकास दुबे ने फरार होने में इन्हीं में से किसी एक कार का इस्तेमाल किया है। पुलिस ने जांच की तो कारें जय बाजपेयी की निकलीं। उसके बाद उसे हिरासत में लिया गया था। बताया जा रहा है कि, जय बाजपेयी महज आठ सालों में अकूत संपत्ति का मालिक बना है।