न्यूज वाणी ब्यूरो
बाँदा। जिले के बबेरु तहसील क्षेत्र के एक गांव में मनरेगा मजदूरों की मेहनत का पैसा नहीं मिल रहा है। वहीं मनरेगा मजदूरों को जॉब कार्ड प्रधान के कहने पर पंचायत मित्र वा सचिव के पास रखे हुए हैं, और जब मनरेगा की मजदूरी का पैसा आता है तो किसी को मजदूरी दिया जाता है और किसी को कुछ नहीं दिया जाता। इसीलिए मनरेगा मजदूरों ने ग्राम प्रधान, सचिव वा पंचायत मित्र के प्रति रोष व्यक्त किया है।
पूरा मामला बबेरु तहसील क्षेत्र के मियां बरौली गांव का है। जहां पर मनरेगा के मजदूरों की मेहनत का पैसा उन तक नहीं पहुंच पाता है। वही ग्राम प्रधान पंचायत मित्र व सचिव के पास रखे जॉब कार्ड से पैसा निकाल लिया जाता है और जॉब कार्ड धारकों को 200 से 400 रुपये पकड़ा दिया जाता है। जब समाजसेवियों के द्वारा मनरेगा मजदूरों को बताया गया कि आप की मेहनत का पैसा मजदूरी का पैसा इंटरनेट पर शो करता है और जब इंटरनेट पर मनरेगा मजदूर अपना खाता देखें तो उनका पैसा निकल चुका था। जिससे मनरेगा मजदूर काफी परेशान हुवे, मनरेगा मजदूर ने बताया कि हमारा जॉब कार्ड बना हुआ है, और गांव के कुछ जॉब कार्ड पंचायत मित्र व सचिव के पास जमा है। जब हम मांगते हैं, तो नहीं दिया जाता, और जो पैसा आता है तो कहते हैं कि हम निकाल कर दे देंगे और जब यहां पर चेक करवाया तो पूरा पैसा निकल गया है। 2 वर्ष हो गए हमें मजदूरी का पैसा नहीं दिया गया। अभी बीच में हमने मनरेगा के तहत मजदूरी किया था। जिसमें अभी भी हमें मजदूरी का पैसा नहीं दिया गया। वही महिला मनरेगा मजदूर ने बताया कि जॉब कार्ड बनवाने के लिए हम कहते हैं तो कहते है, कि आप मजदूरी करो पैसा दिया जाएगा। लेकिन पैसा हमको आज तक अभी नहीं मिला है। और हम जॉब कार्ड बनवाने के लिए भी कहते हैं तो नहीं बनवाए जा रहा है। एक महिला और बताया कि मनरेगा का काम में लगभग 10 वर्षों से करती चली आ रही है, लेकिन यहां पर हमें मनरेगा की मजदूरी का पैसा समय से नहीं मिलता और जो मिलता है तो आधे मिलते हैं और आधे निकाल लेते हैं और जॉब कार्ड भी हमारा उन्हीं के पास जमा है। जॉब कार्ड जब मांगते हैं तो हमारा जॉब कार्ड नहीं देते कई बार सचिव से शिकायत करने के बाद भी हमारा पैसा हमको नहीं मिला है।
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