नप जाएगी खाकी ।
दायरा संदेह ।।
सांठ-गांठ उजागर ।
हिस्ट्रीशीटर नेह ।।
मिट्टी में मिलाया ।
कुछ लोगों ने नाम ।।
मुखबिरी का खेल ।
दृश्य अब तमाम ।।
मस्तक है झुकाया ।
तंत्र में ये छेद ।।
काम में जो तत्पर ।
करते व्यक्त खेद ।।
रक्षक ने उम्मीदों पर ।
फेरा आज पानी ।।
कर्तव्य पथ पर अग्रसर ।
दर्ज हुई कहानी ।।
कृष्णेन्द्र राय
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