न्यूज वाणी ब्यूरो
आगरा। मंगलायतन विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग ने पोस्ट कोरोना जर्नलिज्मरू चैलेंजेस, प्रॉब्लम्स, तथा प्रॉस्पेक्ट्स (कोरोना के बाद की पत्रकारितारू चुनौतियाँ, समस्याएं और संभावनाएं) विषय पर वेब-सेमिनार का आयोजन किया। वक्ताओं ने कहा कि विश्व युद्ध, आजादी की लड़ाई और इमरजेंसी के बाद कोरोना एक चुनौती के रूप में है। नौकरियां जा रही हैं सैलरी में कटौती हो रही है। विज्ञापनदाताओं का दबाव है। फिर भी पत्रकार सत्य का अन्वेषण करते रहेंगे। वेब-सेमिनार का शुभारंभ मंगलायतन विवि के कुलपति प्रो. केवीएसएम कृष्णा ने किया। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में अगले सत्र से ऑनलाइन टीचिंग और लर्निंग को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि कभी सोचा नहीं था कि इस तरह से भी मिलना होगा, लेकिन कोरोना ने सब सिखा दिया। विश्वविद्यालय में शीघ्र ही मेडिकल और पैरा मेडिकल कोर्स शुरू होंगे। परिसर में 100 बेड का अस्पताल तैयार है। ओपीडी चार माह से चल रही है। हमने लॉकडाउन में भी ओपीडी को बंद नहीं किया ताकि लोगों को इलाज मिलता रहे। विवि ग्रामीण क्षेत्र में है और कनेक्टिविटी की समस्या है फिर भी हम काम कर रहे हैं। एक-दो दिन में परीक्षा परिणाम घोषित होगा और छात्र प्लेसमेंट के लिए तैयार होंगे। कार्यक्रम का स्वागत सम्बोधन करते हुए मंविवि के वित्त विभाग से अतुल गुप्ता ने कहा कि पत्रकार इस दौर में भी बहुत उम्मदा कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता निश्चित रूप से निडरता के साथ आगे बढ़ रही है। मंगलायतन विश्वविद्यालय में पत्रकारिता विभाग के डीन और निदेशक तथा संयोजक प्रो. शिवाजी सरकार ने कहा कि कोरना के कारण अनेक परिवर्तन देखने को मिले हैं। पहले मजदूरों की चिन्ता नहीं की और अब उन्हें हवाई जहाज से बुलाया जा रहा है। निजीकरण हो रहा है। पीपीपी मॉडल की सुनामी आई है। कैश इकोनोमी से बचने के कारण समस्या है और इस पर कोई सवाल नहीं किया जा रहा है। आखिर आयकर की दरें कम नहीं की जा सकती हैं। बिजली का बिल दो माह में क्यों आता है, लोगों को टैक्स में छूट चाहिए। मुख्य अतिथि और आकाशवाणी आगरा केन्द्र के सहायक निदेशक अनुपम पाठक ने कहा कि कोरोना के कारण उथल-पुथल है। हाल यह है कि कोरोना संक्रमितों से अधिक बेरोजगार हो गए हैं। नौकरियों में छंटनी हो रही है। तकनीक में परिवर्तन आया है। इस समय नेट पर खबरें खोजी जा रही हैं लेकिन वहां 80 फीसदी से अधिक खबरें प्रिंट से आती हैं। नई और जटिल चुनौती है, फिर भी हमें सत्य का अन्वेषण करना है। उन्होंने प्रिंट मीडिया की तारीफ करते हुए कहा कि अधिकांश लोग अखबार के बिना सुबह नहीं सोच सकते। कोरोना काल में रेडियो कार्यक्रमों में बदलाव की बात भी उन्होंने कही।
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