चंडीगढ़। हरियाणा में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने औद्योगिक नीति में बदलाव किया है। इसके तहत औद्योगिक क्षेत्रों में उद्यमों के लिए विभिन्न महकमे और एजेंसियां मिलकर आधारभूत ढांचा तैयार करेंगी। मेरिट पर इन परियोजनाओं को मंजूरी दी जाएगी। इंडस्ट्रियल एरिया को विकसित करने के लिए तीन चौथाई पैसा सरकार देगी, जबकि शेष राशि प्रोजेक्ट का जिम्मा उठाने वाली एजेंसी वहन करेगी।
उद्योग विभाग ने औद्योगिक नीति में संशोधन करते हुए ‘राज्य औद्योगिक अवसंरचना विकास योजना’ (एसआइआइडीएस) अधिसूचित की है। इसके तहत बुनियादी औद्योगिक ढांचा यानी कि सड़क, सीवेज और बिजली तथा तकनीकी अवसंरचना यथा परीक्षण प्रयोगशाला, अनुसंधान और विकास केंद्र, डिजाइन विकास केंद्र और कौशल विकास केंद्र बनाए जाएंगे। इंडस्ट्रियल एरिया में एग्जीबिशन-कम-कन्वेंशन सेंटर व अग्निशमन केंद्र और साझे मल शोधन संयंत्र लगाए जाएंगे। इस योजना के तहत मंजूर परियोजनाओं को पूरा करने में सरकारी कंपनियां, बोर्ड-निगम और महकमे अहम रोल निभाएंगे। स्वीकृत परियोजना के लिए 75 फीसद पैसा प्रदेश सरकार देगी तथा बाकी 25 फीसद राशि संबंधित एजेंसी देगी। जमीन की व्यवस्था संबंधित महकमे को ही करनी पड़ेगी।
राज्य औद्योगिक अवसंरचना विकास कमेटी मेरिट के आधार पर परियोजना पर खर्च होने वाली पूरी राशि सरकार द्वारा वहन करने की सिफारिश भी कर सकती है। परियोजनाओं को मंजूरी देने और निगरानी के लिए राज्य औद्योगिक अवसंरचना विकास समिति गठित की गई है। मुुख्य सचिव इस समिति के अध्यक्ष होंगे, जबकि उद्योग व वाणिज्य विभाग के निदेशक को सदस्य सचिव बनाया गया है।
सदस्यों में उद्योग और वाणिज्य विभाग, शहरी स्थानीय निकाय विभाग, नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग के प्रशासनिक सचिव, हरियाणा राज्य औद्योगिक अवसंरचना विकास निगम के प्रबंध निदेशक और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के मुख्य प्रशासक को शामिल किया गया है। कार्यान्वयन एजेंसी द्वारा उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा कराने के बाद स्वीकृत परियोजनाओं के लिए फंड उद्योग और वाणिज्य विभाग जारी करेगा। परियोजना तीन साल के भीतर पूरी करनी होगी।
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