दो साल बाद ऑनलाइन से ऑफलाइन दौर में पढ़ाई के लिए लौटे बच्चे बदले-बदले नजर आ रहे हैं। ऑनलाइन पढ़ाई ने विद्यार्थियों को मोबाइल फोन का लत लगा दी है। बच्चों की आदत इतनी बिगड़ गई है कि यदि उन्हें कुछ देर मोबाइल फोन न मिले वह चिड़चिड़े हो जाते हैं। साथ ही बातचीत भी बंद कर देते हैं।
फोन मिलने पर वह सामान्य स्थिति में लौट रहे हैं। इसका कारण कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई के चलते बच्चों का स्मार्ट फोन पर निर्भर होना माना जा रहा है। होली एंजिल पब्लिक स्कूल अल्मोड़ा के प्रधानार्च डॉ. मनोज चौधरी ने बताया कि ऑनलाइन पढ़ाई के कारण बच्चों में किताबें पढ़ने की आदत कम हो गई है। ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान बच्चों ने अधिकांश समय घरों में बिताया है इसलिए अब जब स्कूल खुले हैं तो बच्चों की क्लास रूम में बैठने की क्षमता खत्म होते जा रही है।
पढ़ाई के बहाने मांगते हैं बच्चे फोन नहीं देने पर हो जाते हैं आक्रामक
स्कूल से आते ही बच्चे मोबाइल फोन में ही लगे रहते हैं। इससे आंखों पर बुरा असर तो पड़ ही रहा है। मानसिक विकार भी आ रहे हैं। जीआईसी अल्मोड़ा के प्रधानाचार्य मदन सिंह मेर ने बताया कि ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों को मोबाइल की इतनी ज्यादा आदत बन गई है कि मोबाइल उनसे छूट नहीं रहा है। बच्चे व्हाट्सएप में चैटिंग इंस्टाग्राम और गेम खेलने के लिए फोन ले लेते हैं।
जीआईसी हवालबाग के प्रधानाचार्य डॉ. डीडी तिवारी ने बताया कि बच्चे सकारात्मक सोचे। अपने उद्देश्य के प्रति हमेशा सजग रहे। मनोचिकित्सकों के अनुसार जागरूक अभिभावक तो काउंसिलिंग करवा रहे हैं लेकिन कुछ इन लक्षणों को अनदेखा कर रहे हैं। इधर अभिभावकों का कहना है कि स्कूल बंद होने से ऑनलाइन पढ़ाई का फायदा हुआ था लेकिन अब मोबाइल की लत बच्चों के लिए नुकसानदायक बन गई है।
एक अभिभावक ने बताया कि उनकी बेटी निजी स्कूल में पढ़ती है। कुछ न कुछ बहाना बनाकर वह मोबाइल मांग लेती है। यदि मोबाइल न दो तो नाराज हो जाती है। अन्य अभिभावकों ने बताया कि स्कूल जाने से पहले और आने के बाद कभी पढ़ाई तो कभी किसी अन्य बहाने से बच्चे फोन मांग लेते हैं। मना करने पर वे आक्रामक हो जाते हैं।
बच्चे बोले ऑफलाइन क्ला में होती थी बहुत परेशानी
ऑनलाइन कक्षा में हमें बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। पढ़ाई ठीक से समझ में नहीं आती थी। अधिकांश समय मोबाइल में बिताना पढ़ता था। ऑफलाइन क्लास में कोरोना का भय कम हो गया है।
ऑनलाइन पढ़ाई में हमारी सभी शंकाओं का समाधान नहीं हो पाता था। ऑनलाइन कक्षा में समय का अभाव होता था। नेटवर्क की समस्या भी इनमें एक कारण था। अब ऑफलाइन पढ़ाई शुरू हो गई है। उम्मीद है जल्द पुरानी लय में पढ़ने लगेंगे।
ऑनलाइन क्लास में नेटवर्क आदि कई समस्याओं का सामना करना पड़ता था। ऑफलाइन कक्षा में शिक्षक हमें ज्यादा समय भी दे पाते हैं और विषय को समझाने में कई उदाहरण भी आसानी से समझा पाते हैं।
कोरोनाकाल में ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान स्मार्ट फोन जरूरी हो गया था। हमारे कुछ दोस्तों को मोबाइल की आदत भी पड़ गई थी। जिससे उनकी पढ़ाई पर भी असर पड़ा। अभी ऑफलाइन क्लासें चल रही हैं तो पढ़ाई में ध्यान लगता है।
कोरोना और ऑनलाइन पढ़ाई के कारण कई छात्रों ने स्कूल में एक स्थिर दिनचर्या खो दी है। इसने उनके कौशल को प्रभावित किया है। विशेष रूप से बुनियादी पढ़ने और लिखने में अब बच्चे तकनीक पर अधिक निर्भर हो गए हैं। बच्चों के सोने और खाने के तरीके बदल गए हैं। ऑनलाइन कक्षाओं के कारण नियमित रखरखाव खराब बातचीत कौशल या खराब सामाजिक कौशल बहुत मुश्किलें खड़ी कर सकता है। इस मामले में स्कूलों को सभी छात्रों को परामर्श और सहायता प्रदान करनी चाहिए।
कोरोना काल में स्कूलों में पढ़ाई में आए व्यवधान का असर विद्यार्थियों की मनोदशा पर पड़ना लाजमी है। विद्यार्थियों को मानसिक तनाव से बचाने के लिए स्कूल प्रबंधन विद्यार्थियों की काउंसिलिंग भी करा रहे हैं। मार्च 2020 से कोविड महामारी के चलते स्कूलों में शिक्षण कार्य प्रभावित रहा है। विद्यार्थियों का अधिकांश समय स्कूल से दूर घर पर बीता है।
विद्यार्थियों को ऑफलाइन पढ़ाई के स्थान पर ऑनलाइन पढ़ाई करनी पड़ी। विद्यार्थियों में मानसिक अवसाद की स्थिति पैदा न हो, इसके लिए लॉकडाउन के बाद मिली ढील के दौरान निजी स्कूलों में विद्यार्थियों की काउंसिलिंग भी कराई गई। मां उमा हाईस्कूल कपकोट के प्रबंधक उमेश जोशी का कहना है कि विद्यार्थियों के मोटिवेशन के लिए लगातार कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
विद्यार्थियों की पढ़ाई अवश्य प्रभावित हुई है। उसकी भरपाई ऑनलाइन पढ़ाई कर की गई। वर्तमान में गृह परीक्षाएं सुचारु ढंग से संचालित हुईं। कोरोना संक्रमण के मामले घटने के कारण सामान्य हालात हो रहे हैं। यही स्थिति रही तो आने वाले समय में शिक्षण व्यवस्था पटरी पर लौट आएगी। मनोवैज्ञानिक डॉ. हरीश पोखरिया कहते हैं कि विद्यार्थियों को तनावमुक्त रखने के लिए टिप्स दिए जाते हैं।