न्यूज वाणी ब्यूरो
हमीरपुर। जनपद के सिसोलर महाविद्यालय में विमर्श विविधा के अंतर्गत जिनका देश ऋणी है के तहत समर विद्या के महान सूरमा छत्रपति शिवाजी महाराज 19 फरवरी पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर भवानीदीन ने कहा कि शिवाजी सच्चे अर्थों में राष्ट्र स्वयं सेवी सुरमा थे। वे शिवजी सूत्र केछापामार युद्ध के प्रेता थे। वह एक कुशल राजनीतिज्ञ थे। साथ ही वे स्वराज्य की अवधारणा के प्रति ग्राही भी थे। शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी दुर्ग में पुणे के पास हुआ था। इनके पिता शाहजी भोंसले और माताजी का नाम जीजाबाई था। इनके कुल का संबंध महाराणा वंश से था। शिवाजी पर माता जीजाबाई और पिता शाहजी भोंसले का पूरा प्रभाव पड़ा था। मुगलों अंग्रेजों एवं देसी नरेश ओके कारनामों से शिवाजी कम आयु में ही परिचित हो गए थे। वह जान चुके थे कि यह भारतवर्ष के प्रति सही धारणा नहीं रखते। यह देश के शोषक हैं शोषक नहीं प्रारंभ से ही शिवाजी जी के अंदर देश प्रेम की भावना जग चुकी थी शिवाजी महाराज का विवाह 14 मई 1640 को साईं बाई निंबालकर से हुआ था। इन्होंने मुगल साम्राज्य की नींव डाली कई। दुर्गों पर कब्जा किया। शिवाजी ने कई युद्ध 1948 ईस्वी में इन्होंने छत्रपति की उपाधि धारण की। इन्होंने आदिलशाह और औरंगजेब से मुकाबला किया। 1959 ईस्वी में औरंगजेब ने एक संधि के बहाने अफजल खां को शिवाजी को मारने के लिए भेजा किंतु शिवाजी के बुद्धि कौशल के सामने वह विफल हो गया। शिवाजी महाराज ने अपने बंधनों से अफजल खां को मार डाला कालांतर में शिवाजी बीमारी से संघर्ष करते हुए 3 अप्रैल 1680 को इस संसार से विदा हो गये उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। उनसे प्रेरणा लेकर बहुत से देश प्रेमियों ने आजादी की लड़ाई लड़ी रामप्रसाद प्रशांत देवेंद्र आरती गुप्ता नेहा यादव राकेश यादव प्रदीप यादव गंगादीन अखिलेश सोनी आनंद विश्वकर्मा हिमांशु सिंह सुरेश सोनू गणेश शिवहरे आदि ने विचार व्यक्त किए कार्यक्रम का संचालन डॉ रमाकांत पाल ने किया इस मौके पर सभी छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।