इंदौर में 10 साल के बच्चे के मुंह में 50 दांत होने का मामला सामने आया है। सामान्य से 30 दांत ज्यादा होने पर बच्चे का मुंह सूजा और फूला दिखाई देता था। डॉक्टरों ने दो घंटे सर्जरी कर दांत निकाले। डॉक्टरों को कहना है कि ऐसा 10 हजार में से एक केस होता है। अब बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है। नयापुरा निवासी कामरान अली के बेटे का चार साल पहले मुंह फूला और सूजा हुआ दिखने लगा था। इस पर परिजन ने चार डेंटिस्ट को दिखाया था।
डॉक्टरों ने बच्चे का एक्सरे व जांच कर बताया कि सामान्यत: 20 दांत होते हैं। लेकिन इसके 30 दांत ज्यादा हैं। ये अविकसित होकर मसूड़े में दबे हैं। इससे मसूड़े फूल गए हैं। इससे चेहरा भी सूजा सा दिखता है। डॉक्टरों ने परिजन को यह भी बताया कि ऊपरी जबड़े के ऊपर एक फेशियल नर्व गुजरती है, जिसका सर्जरी में खास ध्यान रखना होता है। अगर यह कट गई तो मुंह के आसपास का हिस्सा सुन्न हो सकता है। डॉक्टरों ने उन्हें बड़े डेंटल अस्पताल के डॉक्टरों को दिखाने की सलाह दी।
परिजन ने बच्चे को मॉर्डन डेंटल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर के डॉक्टर्स को दिखाया। यहां फिर उसका एक्सरे व अन्य जांच हुई। इसमें भी यही पाया गया कि आमतौर पर 10 दांत नीचे और 10 दांत ऊपर होते हैं। लेकिन बच्चे के मुंह में 30 दांत ज्यादा (मेडिकल की भाषा में ओडोन्टोमा) हैं। ये दांत मसूड़ों व कुछ हड्डी तक दबे हैं। इस पर अस्पताल के डॉ. सचिन ठाकुर, डॉ. शिशिर दुबे, डॉ. सौरभ बड़जात्या व डॉ. रिनी बड़जात्या ने सर्जरी प्लान की। फिर दो घंटे की सर्जरी कर 30 दांत निकाले। इसमें 6 दांत ऊपरी जबड़े में अंदर तक दबे थे। दांतों का आकार 1 मिमी से लेकर 10 मिमी तक है।
डॉ. बड़जात्या के मुताबिक इस तरह के केस जेनेटिक होते हैं। लेकिन कामरान के परिवार में ऐसा मामला नहीं था। चूंकि दांतों की संख्या ज्यादा होती है, इसलिए हर दांत निकालने के दौरान बहुत ध्यान रखना पड़ता है। खासकर फेशियल नर्व को कि वह कट न जाए। बकौल डॉ. बड़जात्या ऐसे केसेस में बच्चे सर्जरी के दौरान काफी डर जाते हैं और दर्द के कारण असहज हो जाते हैं। जिन्हें काबू में करना कठिन होता है। कामरान ने सर्जरी के दौरान पूरा सहयोग किया। उसे ऑपरेशन के तीन घंटे बाद डिस्चार्ज कर दिया गया और अब वह फॉलोअप में है।