नई दिल्ली । भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को बिहार के मधेपुरा के रेल इंजन कारखाने से देश के पहले 12,000 हॉर्सपावर (एचपी) के इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव (रेल इंजन) को रवाना करेंगे।
इस लॉन्च के साथ भारत रूस, चीन, जर्मनी और स्वीडन सहित उन देशों की फेहरिस्त में शामिल हो जाएगा, जिनके पास 12,000 एचपी या इससे ज्यादा की क्षमता वाला इलेक्ट्रिक रेल इंजन है। भारतीय रेल के पास अब तक सबसे ज्यादा क्षमता वाला 6,000 एचपी का रेल इंजन रहा है।
प्रतिघंटा अधिकतम 110 किलोमीटर की रफ्तार से भारी ढुलाई करने में सक्षम रेल इंजन मालगाड़ियों की रफ्तार और उनके माल ढुलाई की क्षमता में सुधार करेगा।
मधेपुरा कारखाना फ्रांसीसी कंपनी एल्सटॉम के निवेश के साथ संयुक्त उद्यम से बना है । 20,000 करोड़ रुपये के इस प्रॉजेक्ट के तहत 11 वर्षों की अवधि में कुल 800 उन्नत हॉर्सपावर रेल इंजन बनने की उम्मीद है।
800 रेल इंजन बनाने के अलावा मधेपुरा में कारखाना स्थापित करने और सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) और नागपुर (महाराष्ट्र) में दो रेल इंजन रखरखाव डिपो स्थापित करने वाली परियोजना की कुल लागत 1,300 करोड़ रुपये है। हर रेल इंजन की अनुमानित औसत लागत करीब 25 करोड़ रुपये है।
पहले पांच रेल इंजनों का आयात किया जाएगा, जबकि बाकी 795 रेल इंजनों का निर्माण देश में ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत किया जाएगा। रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारी-ढुलाई वाले रेल इंजनों को कोयला और लौह अयस्क के परिवहन में इस्तेमाल में लाया जाएगा।