फतेहपुर। ग्रीष्म ऋतु के दस्तक देने के साथ ही गर्मी ने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिये हैं। धूप की तेजी से लोगों को प्यास की शिद्दत भी महसूस होने लगी है। लेकिन जल निगम की लापरवाही के चलते प्यासों को ठूंट बने हैण्डपम्प मुंह चिढ़ा रहे हैं। बताते चलें कि पेयजल संसाधन में हैण्डपम्प का महत्वपूर्ण स्थान है। क्योंकि अब कुंआ आदि का पानी न तो पीने योग्य बचा है और न ही तमाम कुंओं में पानी है। अधिकतर स्थानों पर कुंओं का इस्तेमाल कूड़ेदान के रूप में किया जा रहा है। कुंओं केे मिटते अस्तित्व के चलते जो पेयजल संकट गहरा रहा है। उसमे हैण्डपम्प ही एक ऐसा जरिया है जिससे लोग अपने काम चलाते हैं। लेकिन जल निगम की लापरवाही के चलते सार्वजनिक हैण्डपम्पों की स्थिति भी खराब होती जा रही है। कहने को तो हैण्डपम्प लगे हुए हैं। लेकिन जब प्यासा पानी पीने के लिए हैण्डपम्प के पास पहुंचता है तो पता चलता है कि वह पानी के बजाए हवा दे रहा है। तो कहीं पर हैण्डपम्प सिर्फ ठूंठ बने हुए हैं। जिनका इस्तेमाल आसपास के लोग अपने पशुओं को बांधने के लिए कर रहे हैं। गर्मी इसी तरह से तेवर दिखाते हुए जब उग्र रूप धारण करेगी तो पीने के पानी के लिए लोगों में मारामारी का माहौल व्याप्त हो सकता है।