श्रीनगर। गोलियों की गूंज के साथ शुरू हुआ अप्रैल गोलियों की गूंज के साथ बीत गया। कश्मीर में आतंकी हिंसा और हिंसक प्रदर्शनों में 20 आतंकियों और 13 सुरक्षाकर्मियों समेत 51 लोग मारे गए। इनमें 18 नागरिक शामिल हैं। आठ साल में यह पहला मौका है, जब आतंकी हिंसा में किसी एक माह में 50 लोग मारे गए हों।
अप्रैल, 2018 की पहली सुबह जब सूरज उगा था तो दक्षिण कश्मीर के शोपियां और अनंतनाग में गोलियां गूंज रही थीं। तीन भीषण मुठभेड़ों में 13 आतंकी मारे गए थे। एक अनंतनाग में मरा था, जबकि 12 शोपियां में हुई दो मुठभेड़ों में। इन मुठभेड़ों में तीन सैन्यकर्मी भी शहीद हुए। इस दौरान भड़की हिंसा में चार नागरिक भी मारे गए और 150 से ज्यादा लोग जख्मी हुए। अप्रैल के अंतिम दिन दो आतंकियों के अलावा चार नागरिकों समेत छह लोग मारे गए।
पिछले माह मारे गए 20 आतंकियों में समीर टाइगर, आकिब मुश्ताक खान, जुबैर अहमद तुर्रे, नाजिम नजीर डार, रईस अहमद ठोकर, उबैद शफी मल्ला, आदिल अहमद ठोकर, यावर अहमद यत्तु, इश्फाक अहमद मलिक, एत्तमाद हुसैन डार, इश्फाक अहमद ठोकर, समीर अहमद, मोहम्मद अब्बास, वसीम अहमद, इश्फाक अहमद, मुसविर अहमद, इश्फाक अहमद, आबिद अहमद के नाम प्रमुख हैं।
मई की शुरुआत में भी गोलियों से गूंजा कश्मीर
सेना की लगातार कार्रवाई से बौखलाए आतंकी अब जम्मू-कश्मीर की आम जनता को अपना निशाना बना रहे हैं। लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने सोमवार को बारामुला (जम्मू कश्मीर) के ओल्ड टाउन क्षेत्र में तीन स्थानीय युवकों की गोली मारकर हत्या कर दी। आतंकियों को पकड़ने के लिए पुलिस ने तलाशी अभियान छेड़ दिया है। मारे गए तीनों युवक आपस में दोस्त थे। इनकी पहचान आसिफ अहमद शेख, हसीब अहमद शेख और मोहम्मद असगर के रूप में हुई है। बताया जाता है कि तीनों इकबाल मार्केट बारामुला के दुकान के बाहर बैठे हुए थे। अचानक वहां तीन आतंकी आ गए। आतंकियों ने इन्हें बचाव का कोई मौका नहीं दिया और अंधांधुंध गोलियां बरसाईं। तीनों दोस्त मौके पर ही मारे गए। इसके बाद आतंकी वहां से भाग निकले।
ड्रोन रखेगा आतंकियों पर नजर, कमांड मिलते ही कर देगा ढेर
आए दिन बॉर्डर पर देश के वीर जवानों की शहादत से आहत जालंधर में चरणजीतपुरा के ईशान अग्रवाल ने फोटोम आई नाम का एक ऐसा ड्रोन मॉडल बनाया जो न केवल दुश्मनों पर नजर रखेगा, बल्कि कमांड देने पर उसे वहीं ढेर कर देगा। वर्ष 2016 में डेविएट से बीटेक करने वाले ईशान ने बताया कि पिछले साल उसने जनवरी में इस मॉडल पर काम करना शुरू किया था। तब मैंने टीवी पर देखा कि बिना किसी बड़ी लड़ाई के भी बॉर्डर पर घुसपैठ रोकने या गोलीबारी में ही हमारे जवान अपनी जान गंवा रहे हैं। तब मैंने सोचा क्यों न ऐसा कुछ बनाया जाए कि मशीन के जरिए दुश्मनों पर नजर रखी जाए।