- पेट्रोल पंप सील
रतलाम, मध्य प्रदेश: ‘एमपी राइज 2025’ कॉन्क्लेव में शामिल होने आ रहे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के काफिले को लेकर गुरुवार रात रतलाम जिले में एक बड़ी लापरवाही सामने आई। सुरक्षा ड्यूटी में लगे प्रशासनिक और पुलिस विभाग के काफिले की 19 गाड़ियों में डीजल की जगह पानी भर दिया गया, जिससे सभी वाहन कुछ ही दूरी पर जाकर बंद हो गए। घटना की जानकारी मिलते ही प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया।
गुरुवार रात मुख्यमंत्री के दौरे से पहले सुरक्षा में तैनात वाहन ढोसी गांव के पास स्थित भारत पेट्रोलियम के पेट्रोल पंप (कोड: BPCL-3207) पर डीजल भरवाने पहुंचे थे। यहां डीजल की जगह टैंकों में पानी भरा गया। जैसे ही वाहन 2–3 किलोमीटर चले, इंजन में खराबी और स्टार्टिंग फेलियर की समस्या सामने आई, और सभी गाड़ियाँ क्रमशः बंद होने लगीं। तत्काल कार्रवाई के चलते पेट्रोल पंप सील कर दिया गया है। BPCL और जिला प्रशासन की संयुक्त टीम ने सैंपल लेकर जांच शुरू कर दी है।
एफएसएल टीम (Forensic Science Lab) भी मौके पर पहुंची और नमूने लिए गए हैं। जिला कलेक्टर ने 24 घंटे में प्रारंभिक जांच रिपोर्ट देने के आदेश दिए हैं। जिला कलेक्टर गौरव शर्मा ने कहा: “यह मामला अत्यंत गंभीर है, क्योंकि यह मुख्यमंत्री की सुरक्षा से भी जुड़ा है। प्रारंभिक जांच में डीजल टैंक में पानी की पुष्टि हुई है। दोषी पेट्रोल पंप मालिक और संबंधित कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”एसपी अभिनव चौहान ने बताया कि संबंधित पेट्रोल पंप की पूरी सप्लाई चेन की जांच कराई जा रही है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि लापरवाही थी या कोई साजिश।
भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) के क्षेत्रीय प्रबंधक ने कहा:
“हमने तत्काल प्रभाव से उस पंप को संचालन से हटाया है। कंपनी की तकनीकी टीम जांच कर रही है। दोषी पाए जाने पर लाइसेंस रद्द किया जाएगा।”
डीजल टैंक को पूरी तरह खाली कर वाहनों की सफाई की जा रही है। वैकल्पिक वाहनों की व्यवस्था कर ली गई है, ताकि शुक्रवार को होने वाले कार्यक्रम में कोई व्यवधान न हो। सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया गया है। रतलाम में आयोजित यह राज्य स्तरीय विकास सम्मेलन मुख्यमंत्री मोहन यादव की प्रमुख प्राथमिकता में शामिल है, जिसमें निवेश, ग्रामीण विकास, बुनियादी ढांचा, और रोजगार से जुड़े प्रमुख ऐलान किए जाने हैं। मुख्यमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था में इस प्रकार की चूक न केवल प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाती है, बल्कि इससे राज्य की छवि और विश्वास पर भी असर पड़ सकता है। प्रशासन और BPCL की संयुक्त जांच से यह तय होगा कि यह मात्र एक तकनीकी त्रुटि थी या किसी प्रकार की साजिश है।