Breaking News

धराली आपदा में मसीहा बना चिनूक: जब सड़कें टूटीं, पुल बहे और आसमान से उतरा राहत का फरिश्ता

 

नई दिल्ली: उत्तरकाशी के धराली गांव में जब बादल फटा, तो ज़मीन भी टूटी, जिस वजह से यहां जाने वाले तमाम रास्ते बंद हुए और कई ज़िंदगियां मलबे में फंस गईं. आसमान से मौसम का कहर और नीचे त्राहिमाम मचा हो, जब पहाड़ों के उस पार से जब कोई नहीं आ सकता था, जब धराली की तबाही ने सबकुछ लील लिया. अब यहां जोरों पर राहत एवं बचाव जारी है, जबकि यहां पहुंचना बेहद मुश्किल हो रहा है. लेकिन इसके बाद भी आईटीबीपी और बाकी टीमें जी-जान से जुटी है, ताकि हर कीमती जान को किसी भी तरह बचाया जा सकें. उत्तरकाशी में गंगोत्री नेशनल हाईवे एक जख्मी रास्ता बन चुका है, जगह-जगह लैंडस्लाइड और सैलाब ने इसे निगल लिया है. कहीं 100 मीटर, तो कहीं 200 मीटर तक सड़कें पूरी तरह बह चुकी हैं. रास्ते पर भूस्खलन की वजह से धराली का संपर्क पूरी तरह टूट गया. गांव चारों ओर से पानी और मलबे में घिरा है. इस मुश्किल वक्त में तब आसमान से एक ‘दो सिरों वाला विशालकाय हेलीकॉप्टर’ उतरा—CH-47 चिनूक. जिसने लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर ले जा रहा है.

चिनूक: केवल हेलीकॉप्टर नहीं, रेस्क्यू का देवदूत

भारतीय एयरफोर्स के पास चिनूक हेलीकॉप्टर है जो कि (CH-47 Chinook) दुनिया के सबसे ताकतवर मल्टी-रोल ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टरों में गिना जाता है. यह भारतीय एयरफोर्स के सबसे अहम एयरलिफ्ट एसेट्स में से एक है. धराली आपदा में, जब गंगोत्री हाईवे का कई मीटर हिस्सा धंस गया और भूस्खलन की वजह से ज़मीन रास्ता नहीं दे पाई—तब भारतीय एयरफोर्स के इस धांसू चिनूक ने ही रेस्क्यू टीमों, राहत सामग्री, और इंजीनियरिंग उपकरणों को पहाड़ की ऊंचाइयों तक पहुंचाया. चिनूक मुश्किल वक्त में जिस तरह काम आ रहा है, उससे साफ है कि ये कोई महज इंसान की बनाई हुई बेजोड़ मशीन ही नहीं बल्कि रेस्क्यू के लिए किसी देवदूत से कम नहीं.

क्या है चिनूक की खासियत?

  1.  मॉडल    Boeing CH-47F Chinook
  2. ऊंचाई पर उड़ान क्षमता    20,000 फीट तक
  3. उड़ान रेंज    741 किमी
  4. वजन उठाने की क्षमता    10 टन से ज्यादा
  5. स्पीड    315 किमी/घंटा
  6. इंजन    Twin-engine, tandem rotorचिनकू की विशेषता ये है कि ये पहाड़ी, जंगल, समुद्र तट, बाढ़ग्रस्त इलाकों में समान रूप से काम करता है. चिनूक के दो रोटर इसे कम ऊंचाई में भी ज़्यादा लोड उठाने के काबिल बनाते हैं. यह ऐसी ऊंचाई पर भी भारी मशीनें पहुंचा सकता है, जहां बाकि आम हेलीकॉप्टर की सांस फूल जाती है. ऐसे में चिनूक काम आता है, भारी से भारी मशीन और साजो-सामान को उठाकर वहां पहुंचा देता है, जहां पहुंचाना किसी और हेलीकॉप्टर के बस की बात नहीं .

    भारत के पास कितने चिनूक हैं?

    भारत के पास फिलहाल 15 चिनूक हेलीकॉप्टर है, जो कि भारत ने अमेरिका से खरीदे हैं. साल 2015 में हुए सौदे की कुल कीमत थी करीब 8,000 करोड़ रुपये थी. तब यह सौदा Boeing और भारत सरकार के बीच हुआ था, और इन्हें विशेष रूप से भारतीय परिस्थितियों जैसे लद्दाख, अरुणाचल और उत्तराखंड के लिए खास तौर पर मॉडिफाई किया गया. चिनूक की पहली यूनिट साल 2019 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुई, इनकी तैनाती चंडीगढ़ और असम (3 & 4 Squadron) में है.

    अब तक कहां-कहां चिनूक ने जान बचाई या मिशन निभाए?

    • ग्लेशियर मिशन – सियाचिन : सैनिकों को ऊंचाई पर सप्लाई पहुंचाने में भारत के लिए चिनूक सबसे अहम भूमिका निभाता है. टैंक, हथियार और यहां तक कि बोफोर्स तोप भी यह ले जाता है.
    • लद्दाख टेंशन – 2020-21 : जब चीन के साथ गलवान में भारतीय जवानों का टकराव हुआ, तब चिनूक ने ही सबसे तेज़ी से फॉरवर्ड पोस्ट तक सैनिकों और हथियार पहुंचाए.
    • बाढ़ बचाव – यहां तक कि असम, बिहार, केरल चिनूक ने कई बार बाढ़ में फंसे लोगों को रेस्क्यू किया, भारी राहत सामग्री पहुंचाई.
    • कोविड लॉकडाउन- कोविड के वक्त इमरजेंसी सप्लाई, ऑक्सीजन टैंक और मेडिकल टीम को दुर्गम इलाकों तक पहुंचाने में भी चिनूक का इस्तेमाल किया गया.

      दुनियाभर में कहां है चिनूक?

      यूके, कनाडा, जापान, ऑस्ट्रेलिया, भारत चिनूक के टॉप ऑपरेटर्स में से एक है. भारत के लिए चिनूक पर्वतीय और संवेदनशील इलाकों में कमाल का काम कर रहा है. इस वक्त तकरीबन दुनिया के 20 से ज्यादा देश इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. जिनमें शामिल हैं- अमेरिका (सबसे बड़ा उपयोगकर्ता), ब्रिटेन, भारत, जापान, कनाडा ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड्स, इटली, दक्षिण कोरिया, संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर, स्पेन, तुर्की आदि.

      जब आसमां से धराली में पहुंचा चिनूक

      एक पल को जब सबकुछ धराली की तबाही में मातम पसरा था, तब आसामान में ‘धमकती आवाज़’ उम्मीद बन गई. धराली के आसमां में जब चिनूक मंडराया, तो उसका शोर भी स्थानीयों के लिए सुकून लेकर आया. चिनूक महज कोई उड़ने वाली मशीन नहीं, यह उस टेक्नोलॉजी की देन है जो आपदा की घड़ी में जान बचाता है. धरती जब जवाब दे देती है, तब आसमान से चिनूक उतरता है—बचाव बनकर, उम्मीद बनकर, जज्बे की उड़ान के साथ. यही है चिनूक

About NW-Editor

Check Also

“रूस से नाराज़गी, भारत पर असर: अमेरिका लगाएगा 50% तक टैरिफ”

भारत: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से भारत पर लगाया गया 25 फीसदी …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *