– मां पंथेष्वरी धाम बना भक्तो के लिए आस्था का प्रतीक
– ऐतिहासिक नगरी खजुहा बनी काशी: पुजारी आयुष द्विवेदी
बिंदकी, फतेहपुर। बिंदकी तहसील के अंतर्गत खजुहा कस्बे में मां पंथेश्वरी मंदिर अपनी दिव्यता से भक्तो पर आ रही हर समस्या को जड़ से समाप्त कर देता है। जनपद के ऐसे मंदिर की बात करने जा रहे है जहां की दिव्यता खुद इतिहास के पन्नो में दर्ज है यह मंदिर मुगल रोड से खजुहा कस्बे से 1 किलोमीटर दूर पश्चिम दिशा में है। यह मंदिर जनपद के साथ साथ अन्य जनपदों के लोगो के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। भक्त संकट में मां के दरबार माथा टेकने आते है और मन्नत पूरी होने पर धागा और झंडा बांधते है और प्रसाद वा भंडारे का भी आयोजन कराते है। वही जब इस मंदिर के इतिहास की बात करे तो किवदंती सुनने को मिलती है बताया जाता है कि एक बार मंदिर के समीप बसे नंदापुर गांव में एक बार प्लेग की बीमारी वृहद रूप से फैल गई थी जिसमे कई ग्रामीणों की जान चली गई तब ग्रामीणों ने मां के दरबार में आकर माथा टेका और बीमारी सही करने की मन्नत मांगी जिससे तुरंत मां की दिव्यता से प्लेग बीमारी जड़ से खत्म हो गई इसके बाद से यहां पर नवरात्रि पर आयोजन होने लगा। वही दूसरी और ऐतिहासिक पन्नो में दर्ज औरंगजेब और उसके भाई शाहशुजा की लड़ाई के दौरान मुगल बादशाह औरंगजेब को कट्टर इस्लाम धर्मावलंबियों से जोड़ा जाता है. फतेहपुर जिले में उसका दूसरा ही रूप देखने को मिलता है. यहां औरगंजेब को हिन्दू धर्म के प्रति आस्था को लेकर पहचाना जाता है. किवदंती है कि अपने भाई शाहशुजा से युद्ध के दौरान यहां के खजुहा कस्बे में स्थित मां पंथेश्वरी देवी मंदिर में औरंगजेब ने विजय के लिए प्रार्थना की थी. जीत के बाद उसने यहां देवी से आशिर्वाद लिया और तालाब और मंदिर के निर्माण के लिए दान दिया था इस मंदिर के पुजारी आयुष द्विवेदी बताते हैं कि बादशाह शाहजहां के पुत्र शाहशुजा और औरंगजेब के मध्य जनवरी 1659 को उत्तराधिकार के लिए युद्ध हुआ था. युद्ध के दौरान औरंगजेब की सेना इसी मंदिर के पीछे ठहरी हुई थी. इस दौरान औरंगजेब के द्वारा मंदिर के पुजारी के पूछा गया कि तुम बहुत जानकार है तो बताओ किस समय युद्ध किया जाय कि जीत हो. पुजारी ने तब औरंगजेब से देवी से मन्नत मांगने को कहा कि अगर युद्ध में विजय हुई तो आपके दरबार मे पूजन करेंगे. इसके बाद पुजारी ने युद्ध का समय बताया. उसी समय पर आक्रमण कर औरंगजेब ने अपने भाई शाहशुजा से युद्ध में विजय प्राप्त की. युद्ध मे विजय के उपरांत औरंगजेब ने मां पंथेश्वरी देवी में मंदिर जाकर मत्था टेका और पुजारी को उपहार दिया. जिसके बाद यहां मंदिर और तालाब का निर्माण किया गया। वही मंदिर के पुजारी आयुष द्विवेदी ने जानकारी देते हुए यह बताया कि ऐतिहासिक नगरी खजुहा को छोटी काशी कहा जाता है वही इस पर काशी से आए वैदिक ब्राह्मणों द्वार गंगा आरती और मां पंथेश्वरी मंदिर में वैदिक आचार्यों द्वारा शतचंडी महायज्ञ इस बात को सही सिद्ध करते हुए प्रतीत हो रहा है उन्होंने यह भी बताया कि यज्ञाचार्य की भूमिका में काशी के सुप्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य कुलदीप महाराज है वही मंदिर परिसर में भक्त पूरे नवम दिवस चित्रकूट से आई हुई रामलीला टीम द्वारा हो रही सुंदर लीला का रसोपान किया है।