8 साल बाद श्मशान घाट से 400 अस्थि कलश भारत पहुंचे

पाकिस्तान के कराची स्थित पुराने गोलिमार श्मशान घाट में 400 हिंदू मृतकों की अस्थियां वर्षों से विसर्जन की प्रतीक्षा में थीं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हिंदू परिवार अपने प्रियजनों की अस्थियां गंगा में प्रवाहित करना चाहते थे, लेकिन वीजा की कठिनाइयों के कारण यह संभव नहीं हो पाया। सोमवार (3 फरवरी) को आखिरकार ये अस्थियां पंजाब के अमृतसर के वाघा-अटारी बॉर्डर के जरिए भारत पहुंचीं।

इस पूरी प्रक्रिया में श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर समिति और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अहम भूमिका निभाई।  महाकुंभ योग के दौरान भारत सरकार ने इन अस्थियों को भारत लाने के लिए वीजा जारी किया। रविवार  को कराची के श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर में विशेष प्रार्थना सभा आयोजित हुई, जहां मृतकों के परिजनों ने अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। इस धार्मिक अनुष्ठान में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए और विधिपूर्वक अंतिम विदाई दी। यह पहला मौका नहीं है जब पाकिस्तान से हिंदू अस्थियां भारत भेजी गई हैं, लेकिन इस बार संख्या सबसे ज्यादा हैं।

पाकिस्तान के रहने वाले लोग वर्षों से इस दिन का इंतजार कर रहे थे। अगर भारत सरकार से इजाजत नहीं मिलती, तो इन लोगों को  मजबूरी में सिंधु नदी में अस्थियां विसर्जित करना पड़ता। हिंदू धर्म में गंगा को मोक्षदायिनी माना जाता है, इसलिए पाकिस्तानी हिंदुओं की प्राथमिकता हरिद्वार ही थी। महाकुंभ जैसे पवित्र समय में अस्थि विसर्जन करने का मौका मिलने पर पाकिस्तानी हिंदुओं ने खुशी जाहिर की है।

 

श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर समिति के अध्यक्ष श्रीराम नाथ मिश्रा महाराज 400 अस्थि कलश लेकर भारत पहुंचे। इससे पहले 2011 में 135 और 2016 में 160 अस्थियां हरिद्वार भेजी गई थीं, लेकिन इस बार संख्या कहीं ज्यादा है।  अस्थि कलश मिट्टी के पारंपरिक घड़ों के बजाय सफेद प्लास्टिक के जार में रखे गए हैं, ताकि सफर के दौरान सुरक्षित रह सकें। वाघा बॉर्डर पर हिंदू संगठनों और परिवारों ने इन अस्थियों का स्वागत किया।

 

भारत पहुंचने के बाद अस्थियां सीधे हरिद्वार भेजी जाएंगी, जहां अगले दो सप्ताह तक विशेष धार्मिक अनुष्ठान किए जाएंगे। श्रीराम नाथ मिश्रा महाराज ने कहा कि मैं इस पुण्य कार्य में सहयोग करने के लिए खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं। महाकुंभ के समापन तक श्रीराम नाथ मिश्रा महाराज हरिद्वार में रुककर मृत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थनाएं करेंगे। सारी विधि विधानों के पूरा होने के बाद अंत में विधिपूर्वक गंगा में इन अस्थियों का विसर्जन किया जाएगा।

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