– अनुष्का फाउंडेश के मास्टर ट्रेनर व सहायक पर्यवेक्षक ने मिलकर किया 35 मरीजों का इलाज
– मेडिकल कालेज के क्लबफुट क्लीनिक में बच्चों का उपचार करते चिकित्सक।
फतेहपुर। अनुष्का फाउंडेशन के मास्टर ट्रेनर डॉ. मो. अफसर खान ने डॉ. सुजीत कुमार सिंह के साथ मिलकर सहायक पर्यवेक्षक में 35 मरीज का इलाज किया। अनुष्का फाउंडेशन अपने सभी दानदाताओं और समर्थकों का आभारी है जो यह सुनिश्चित करने के उद्देश्य में समर्थन करते हैं कि क्लबफुट के साथ पैदा होने के परिणामस्वरूप कोई भी बच्चा बड़ा होकर विकलांग न हो। अनुष्का फाउंडेशन एक गैर लाभकारी संगठन है। जो भारत में क्लबफुट को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। मेडिकल कॉलेज में प्रत्येक शुक्रवार को कमरा नंबर 3 में क्लबफुट क्लीनिक में बच्चो का निःशुल्क इलाज किया जाता है। यहां आर्थाेपेडिक डॉक्टरों द्वारा इलाज किया जाता है। क्लबफुट एक जन्मजात विकृति है जो भारत में 800 नवजात शिशुओं में से एक को प्रभावित करता है। इलाज न किए जाने या अधूरा इलाज दिए जाने से बच्चे गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं और उन्हें आजीवन विकलांगता का सामना करना पड़ सकता है हालांकि, उचित उपचार से क्लबफुट का पूरी तरह से इलाज संभव है और आजीवन विकलांगता से आसानी से बचा जा सकता है हालांकि, क्लबफुट का इलाज किया जा सकता है। इस तरह बाद में होने वाली विकलांगता को रोका जा सकता है और प्रभावित लोगों के जीवन को बदलने में मदद मिल सकती है। क्लबफुट को खत्म करने के लिए अनुष्का फाउंडेशन ने अपने क्लबफुट कार्यक्रम को लागू करने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के साथ साझेदारी की क्लबफुट और उनके उपचार कार्यक्रम के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) योजना, आशा कार्यकर्ताओं, स्थानीय स्वास्थ्य केंद्रों और अन्य चिकित्सा कर्मचारियों के साथ मिलकर काम कर रहा है। कार्यक्रम मॉडल में प्रमुख हस्तक्षेप बिंदुओं में से एक क्लबफुट उपचार की पोंसेटी पद्धति में आर्थाेपेडिक डॉक्टरों और कास्टिंग टेक्नीशियनों के लिए आयोजित चिकित्सा प्रशिक्षण है। इसमें प्रथम चरण में कास्टिंग दूसरे चरण में टेनोटॉमी और तीसरे चरण में बच्चो को पांच साल तक जूते और बार दिए जाते है। सहायक पर्यवेक्षक में हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. मो. अफसर खान, डा. रोहतास, डा. अराफात, अनीस शाह, डा. अरमान, अस्पताल एचओडी सुजीत कुमार सिंह, टेक्नीशियन अमन और अनुष्का फाउंडेशन से ब्रांच मैनेजर सौरभ शुक्ला प्रोग्राम एग्जुकेटिव आशीष मिश्रा रहे।
