इस समय सबसे ज्यादा कोरोना के मामले केरल में दर्ज किए गए हैं जहां सक्रिय मरीजों की संख्या 95 तक पहुंच चुकी है। इसमें 69 केस नए हैं। दूसरे नंबर पर तमिलनाडु है जहां इस समय कुल 66 सक्रिय केस हैं। इसमें 34 मामले नए हैं। इसके बाद महाराष्ट्र का नंबर आता है जहां कुल सक्रिय मरीज 56 हैं जिसमें 44 मामले नए दर्ज किए गए हैं। नए मामलों में महाराष्ट्र तमिलनाडु से आगे है।
गुजरात में कोरोना के सात मामले सक्रिय हैं जिसमें छः मामले नए दर्ज किए गए हैं। पुडुचेरी में कोरोना के मामलों में कमी आई है। यहां इस समय 10 सक्रिय केस हैं, जबकि तीन मरीजों को पूरी तरह स्वस्थ घोषित कर दिया गया है। हरियाणा में भी कोरोना का एक नया मामला पाया गया है। देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना के पांच मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें तीन मामले नए हैं। कुछ एशियाई देशों में कोरोना के मामलों में लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए केंद्र सरकार ने 12 मई से कोरोना मरीजों के आंकड़े दोबारा अपडेट करने शुरू कर दिए हैं।
11 राज्यों तक फैला कोरोना
केंद्रीय स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, कोरोना की स्थिति नियंत्रण में है। सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर के अधिकारियों की बैठक में स्थिति के सभी पहलुओं पर विचार किया गया है। अब तक दर्ज किए गए सभी केस मध्यम कैटेगरी के हैं और गंभीर कैटेगरी में कोई मरीज दर्ज नहीं किया गया है। सरकार के अनुसार, स्थिति को देखते हुए जांच और निगरानी की सक्रियता बढ़ा दी गई है और चिंता करने वाली कोई बात नहीं है।
देश के पास किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरे इंतजाम हैं। लेकिन इसके बाद भी सच्चाई यह है कि कोरोना देश के 11 राज्यों में फैल चुका है। इसमें दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, केरल, तमिलनाडु, हरियाणा, पुडुचेरी, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, राजस्थान और कर्नाटक शामिल हैं।
पिछली बार चीन को कोरोना फैलने की सबसे प्रमुख वजह बताया गया था। हालांकि चीन ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी। लेकिन इस बार कोरोना अब तक सिंगापुर और हांगकांग में अपने पांव पसार चुका है। अन्य देशों तक इसके पहुंचने पर स्थिति को संभालने के लिए सक्रिय होना होगा।
कोरोना वायरस का एन्डेमिक असर संभव: डॉ. ममता त्यागी
मैक्स अस्पताल की स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. ममता त्यागी ने कहा कि किसी भी प्रकार के एपिडेमिक के एक समयांतराल के बाद उसका एंडेमिक आता है। इस दौरान वह वायरस वातावरण में मौजूद तो रहता है, लेकिन उसकी पीड़ित करने की क्षमता और संक्रामकता दर घट जाती है। चूंकि कोरोना 19 को लेकर समाज में हर्ड इम्यूनिटी विकसित हो चुकी है, इसका असर ज्यादा घातक नहीं होगा। लेकिन इसके बाद भी लोगों को सतर्कता बरतनी चाहिए।
डॉ. ममता त्यागी ने कहा कि कभी-कभी कुछ वायरस अपने अंदर भारी बदलाव कर लेते हैं और वे नई संक्रामक क्षमता के साथ लोगों पर आक्रमण करते हैं, लेकिन अभी तक कोरोना के जो नए मामले सामने आए हैं, उनसे यह संकेत नहीं मिलता कि यह नया स्ट्रेन बहुत ज्यादा घातक या संक्रामक है। ऐसे में लोगों को बहुत चिंता नहीं करनी चाहिए। लेकिन सावधानी रखकर इससे बचने की कोशिश करनी चाहिए।
नया म्यूटेशन खतरनाक नहीं: हेल्थ एक्सपर्ट
कोविड 19 के दौरान दिल्ली के बीएलके अस्पताल में कोरोना मामलों के नोडल इंचार्ज रहे डॉ. संदीप नायर ने अमर उजाला से कहा कि कोरोना का नया म्यूटेशन जेएन-1 खतरनाक श्रेणी का नहीं है। इसकी लोगों को संक्रमित करने की क्षमता भी सीमित पाई गई है। यह कोरोना के दूसरे संस्करण की तरह बिल्कुल भी विस्फोटक नहीं है। यदि ऐसा होता तो अब तक कोरोना के मरीज भारी संख्या में सामने आ चुके होते।
डॉ. संदीप नायर ने कहा कि इस संक्रामक वायरस की चपेट में आने वाले मरीजों को बुखार-खांसी के हल्के लक्षण हो सकते हैं। इस वायरस का असर दूसरी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों पर नकारात्मक असर दिखा सकता है, ऐसे में जिन लोगों को कोई अन्य गंभीर बीमारी है, उन्हें सतर्कता बरतनी चाहिए। किसी भी लक्षण के दिखने पर मरीजों को तुरंत चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। कोविड पॉजिटिव पाए जाने पर भी घबराना नहीं चाहिए। इसका इलाज सामान्य तौर पर हर जगह उपलब्ध है। पॉजिटिव पाए जाने पर अच्छे चिकित्सक से इलाज कराना चाहिए।
क्या करना चाहिए?
सतर्कता के तौर पर बीमार लोगों को सार्वजनिक स्थानों पर जाने से पहले मास्क पहनना शुरू कर देना चाहिए। सामान्य लोगों को भी सतर्कता के तौर पर भीड़भाड़ वाली जगहों पर अनावश्यक नहीं जाना चाहिए। समय-समय पर हाथ धुलने, हाथ को अपनी आंखों-नाक को बार-बार स्पर्श करने से बचना चाहिए।