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सपनों पर पड़ा सन्नाटा: टॉप टेन में आने की चाह में बेटी ने तोड़ा दम, फफक पड़े पिता

 

नीट की कोचिंग के मासिक टेस्ट में कम नंबर आने से  छात्रा ने दी जान।  बिजनौर के नगर कोतवाली क्षेत्र के साकेत कॉलोनी के रहने वाले सुखबीर सैनी बिजनौर डीएम कार्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं। तीन बेटियों में दूसरे नंबर की प्रिंसी सैनी (18) अपनी बड़ी बहन राखी के पास सवा साल पहले प्रयागराज आई थी। वह यहां रहकर नीट की कोचिंग कर रही थी।  साथ ही गांव से 12वीं की भी पढ़ाई कर रही थी। बड़ी बहन राखी ने बताया कि शनिवार की सुबह करीब साढ़े नौ बजे वह सब्जी लेने कमरे से बाहर गई थी।

इस दौरान प्रिंसी कमरे में अकेली थी। करीब 20 मिनट बाद जब वह सब्जी लेकर लौटी तो कमरे का दरवाजा बंद था।  आवाज देने पर भी दरवाजा नहीं खुला। आसपास के लोगों की मदद से दरवाजा तोड़ा गया तो प्रिंसी सैनी पंखे के सहारे दुपट्टे का फंदा बनाकर लटकी हुई थी। आनन-फानन लोगों की मदद से उसे उतारकर एसआरएन अस्पताल लाया गया, डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।  पिता सुखवीर ने बताया कि शनिवार को उनके पास बड़ी बेटी राखी का फोन आया। वह जोर-जोर से रोने लगी। पूछने पर बताया कि प्रिंसी ने फांसी लगा लिया है। जल्दी यहां आ जाइए। बेटी की मौत की सूचना मिलते ही वह अपने परिजनों के साथ रवाना हुए। देर शाम प्रयागराज पहुंचे तो बेटी का शव पोस्टमार्टम हाउस में था।

उन्होंने बताया कि उनकी बेटी पढ़ाई में ठीक थी। वह स्त्री रोग विभाग की डॉक्टर बनना चाहती थी, उन्हें नहीं पता कि बेटी ने आत्मघाती कदम क्यों उठाया। यह कहते हुए वह फफक पड़े।  बहन राखी ने बताया कि उनकी बहन पढ़ाई को लेकर काफी परेशान रहती थी। कोचिंग में मंधली और वीकली टेस्ट होता था। करीब 15 दिन पहले वीकली टेस्ट में उसका कम नंबर आया। उस समय भी वह खाना नहीं खा रही थी। गुमशुम सी रहने लगी थी। मम्मी-पापा के फोन पर काफी देर तक समझाने पर उसने खाना खाया था। इधर, सोमवार को उसका वीकली टेस्ट होने वाला था।  इस बात को लेकर वह काफी परेशान थी।

शुक्रवार रात दोनों बहनों ने खाना बनाकर साथ में खाया था। सुबह उठकर उसने जूस भी लिया था, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि उनकी बहन उनके जाने के बाद इतना बड़ा कदम उठा लेगी। बेटी प्राइमरी से ही स्कूल में टॉपर थी। स्त्री रोग विशेषज्ञ बनकर उसने महिलाओं की सेवा का सपना देखा था। इसके लिए कड़ी मेहनत भी की थी। उसके सपनों को पंख देने के लिए ही उम्मीदों के साथ प्रयागराज भेजा था, ताकि नीट की कोचिंग कर अपने सपने को साकार कर सके, लेकिन नहीं पता था कि ये दिन देखने पड़ेंगे। यह कहकर पिता सुखबीर सैनी फफक पड़े। बोले-अब सब खत्म हो गया।

उन्होंने बताया कि शुरू से ही प्रिंसी कक्षा में अव्वल आती थी, इससे उनका सीना गर्व से चौड़ा हो जाता था। उसका सपना था कि बड़ी होकर स्त्री रोग विशेषज्ञ बनेगी। सपनों को साकार करने के लिए ही करीब सवा साल पहले वह नोट की कोचिंग करने प्रयागराज आई थी। साथ ही इंटर की परीक्षा की भी तैयारी कर रही थी। कोचिंग के मंथली टेस्ट में वह टॉप टेन में रहना चाहती थी, लेकिन हर बार पिछड़ जाती थी। मंथली टेस्ट आते ही वह परेशान हो उठती थी और अक्सर तनाव में रहती थी। इसी कारण उसने परेशान होकर आत्मघाती कदम उठा लिया, जिसकी कभी कल्पना नहीं थी। शव का परिजनों की मौजूदगी में डॉक्टरों के पैनल से पोस्टमार्टम होने के बाद बेटी संग उसके सपनों पर कफन लेकर पिता सुखवीर सैनी प्रयागराज से करीब 650 किमी. दूर अपने घर बिजनौर रवाना हो गए।

मनोचिकित्सक डॉ. राकेश पासवान बताते हैं कि आजकल माता-पिता बच्चों को कौशल क्षमता को बिना समझे अपना उद्देश्य उन पर थोप दे रहे हैं। जब वह नीट या जेई जैसी पढ़ाई के लिए कोचिंग में जाते हैं तो अपना रिजल्ट कम पाते हैं, फिर हतोत्साहित हो जाते हैं और डिप्रेशन में चले जाते हैं। परिणामस्वरूप सुसाइड जैसे आत्मघाती कदम उठा लेते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चे की कौशल क्षमता को देखकर ही अभिभावकों को बच्चों की तैयारी करानी चाहिए। उसके ऊपर बहुत अधिक दवाव नहीं बनाना चाहिए। बच्चों को पूरी नींद लेने के लिए कहें और देर रात तक फोन चलाकर पड़ाई न करने दें। मस्तिष्क को आराम दें।

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