– मालिक फरार, टैंक खाली, फर्जी बिल से किसानों को लूटा
– अवैध पेट्रोलियम व्यापार के खिलाफ प्रशासन का बड़ा एक्शन
– नायरा कंपनी का नाम लेकर किया जा रहा था करोड़ों का फर्जीवाड़ा
अमृतपुर,फर्रुखाबाद जिले के खुटिया क्षेत्र में संचालित एक बायो डीजल पेट्रोल पंप पर शनिवार को पूर्ति विभाग की टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए अवैध डीजल-पेट्रोल कारोबार का भंडाफोड़ किया। पंप मालिक पवन कटियार और उसका भाई पंकज कटियार, जो लंबे समय से तेल माफिया के रूप में चर्चित हैं, मौके से नदारद मिले। टीम जब मौके पर पहुंची, तो पंप पर ताला लटका मिला और ज़मीन में गड़े तेल टैंक पूरी तरह खाली पाए गए।
यह छापेमारी जिलाधिकारी आशुतोष कुमार द्विवेदी के निर्देश पर की गई, जो पहले ही जिले में अवैध डीजल-पेट्रोल कारोबार पर “जीरो टॉलरेंस” नीति की घोषणा कर चुके हैं। जिलाधिकारी ने स्पष्ट कहा है, “सरकार की मंशा के विरुद्ध कोई भी अवैध कार्य किसी भी सूरत में नहीं चलने दिया जाएगा। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।”
पूर्ति निरीक्षक के अनुसार, मौके पर पंप से जुड़े कई महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले हैं, जिसमें स्थानीय ग्रामीणों के बयान शामिल हैं। लोगों ने बताया कि इस पंप से उन्हें पेट्रोल की जगह थिनर दिया गया, जिससे उनके वाहनों के इंजन खराब हो गए। डग्गामारी के जरिए अवैध डीजल की बिक्री कर लाखों की उगाही की जा रही थी।
जांच में सामने आया है कि पंप मालिक पवन कटियार द्वारा किसानों को नायरा कंपनी के नाम पर नकली बिल और पर्चियां दी जा रही थीं। जबकि नायरा कंपनी का उक्त पंप से किसी प्रकार का अनुबंध नहीं था। यह सीधे तौर पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019, ईसी एक्ट 1955, और जीएसटी अधिनियम 2017 का उल्लंघन है।
बता दें कि यह वही शातिर गैंग है जिसके खिलाफ पहले भी रोशनाबाद स्थित सियाराम बायोफ्यूलिंग स्टेशन पर कार्रवाई की जा चुकी है। वहां भी पंप सील किया गया था और मुकदमा दर्ज हुआ था, जिसमें पुलिस अब विवेचना कर रही है। बावजूद इसके, खुटिया में फिर से नया पंप खोलकर तेल माफिया ने अपना जाल फैला लिया।
जांच के घेरे में अब कई एजेंसियां: आयकर, जीएसटी और नायरा अधिकारी भी सक्रिय
मामले की गंभीरता को देखते हुए जीएसटी विभाग, आयकर विभाग, और नायरा कंपनी के सेल्स अधिकारी भी अलग-अलग स्तर पर जांच और कार्रवाई की तैयारी कर रहे हैं। आयकर विभाग इस बात की जांच कर रहा है कि कितनी अघोषित आय इस अवैध कारोबार से अर्जित की गई। वहीं नायरा कंपनी भी ब्रांड दुरुपयोग को लेकर कानूनी कार्रवाई की तैयारी में है।
कानूनी पहलू: क्या कहते हैं नियम
ईसी एक्ट 1955 (Essential Commodities Act): अवैध डीजल-पेट्रोल विक्रय, फर्जी वितरण, और जमाखोरी पर सख्त सजा का प्रावधान – अधिकतम 7 साल की कैद और जुर्माना।
उपभोक्ताओं को गलत माल बेचना – 2 साल तक की सजा और ₹10 लाख तक का जुर्माना।
बिना लाइसेंस या अनुबंध पेट्रोलियम पदार्थ बेचना – 3 साल तक की सजा और ₹1 लाख तक का जुर्माना।
फर्जी बिल जारी कर टैक्स चोरी करना – 5 साल तक की कैद और तीन गुना जुर्माना।
पूर्ति विभाग ने स्पष्ट किया है कि आरोपियों के विरुद्ध जल्द ही दूसरा मुकदमा दर्ज किया जाएगा। उधर ,पुलिस प्रशासन ने दोनों फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए विशेष टीमों का गठन कर लिया है। इसके अलावा, शासन स्तर से भी कार्रवाई के स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं।
यह मामला इस बात का उदाहरण है कि किस प्रकार कुछ असामाजिक तत्व सरकार की नीतियों को धता बताते हुए लाखों-करोड़ों की धोखाधड़ी को अंजाम देते हैं। लेकिन अच्छी बात यह है कि अब प्रशासन सतर्क है और प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना जैसी कल्याणकारी योजनाओं के पीछे की भावना को बिगाड़ने वालों के खिलाफ सख्ती से निपट रहा है। अब देखना यह होगा कि पवन कटियार जैसे शातिर तेल माफियाओं को प्रशासन कब तक गिरफ्त में ले पाता है, और ऐसे पंपों पर हमेशा के लिए ताला लगने में कितनी देर और लगेगी।