प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में बड़ी कार्रवाई की है. ईडी ने कांग्रेस विधायक सतीश कृष्ण सैल और उनके साथियों की 21 करोड़ रुपए संपत्ति अटैच की है. यह कार्रवाई अवैध रूप से लौह अयस्क (Iron Ore) के निर्यात से जुड़ी है. ईडी की जांच में कई बड़े खुलासे हुए.ईडी की जांच में पता चला कि सतीश सैल, जो श्री मल्लिकार्जुन शिपिंग प्राइवेट लिमिटेड (SMSPL) के एमडी हैं, उन्होंने 2010 में बेलेकेरी पोर्ट से बिना अनुमति के बड़ी मात्रा में लौह अयस्क की खरीद की थी और बाद में उसे चीन भेज दिया.इसके लिए उन्होंने हॉन्गकॉन्ग में फर्जी कंपनी बनाकर पैसे की हेराफेरी (मनी लॉन्ड्रिंग) की.जांच एजेंसियों ने पहले भी सतीश सैल के 15 ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसमें 8 करोड़ रुपए की नकदी और सोना बरामद हुआ था. बाद में उन्हें मिली मेडिकल बेल को अदालत ने 7 नवंबर 2025 को रद्द कर दिया था. अटैच की गई संपत्तियों में गोवा के मुरगांव इलाके में खुली जमीन, कृषि भूमि और वास्को द गामा में स्थित वाणिज्यिक इमारत शामिल है, जिनकी कुल बाजार कीमत करीब 64 करोड़ रुपए बताई जा रही है.वहीं एक अन्य कार्रवाई में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से जुड़ी 8 अचल संपत्तियों को अटैच किया है, जिनकी कीमत लगभग 67.03 करोड़ रुपए है. बताया जा रहा है कि ये संपत्तियां अलग-अलग ट्रस्टों और पीएफआई के राजनीतिक संगठन सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) के नाम पर दर्ज थीं.
ईडी की जांच के अनुसार, पीएफआई और एसडीपीआई ने देश और विदेश खासकर गल्फ देशों से चंदा, हवाला और दान के ज़रिए पैसे जुटाए. यह पैसा देश में हिंसक और आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल किया गया. जांच में अब तक 131 करोड़ रुपये की अवैध कमाई (Proceeds of Crime) का पता चला है.
ईडी ने अब तक पीएफआई और एसडीपीआई के 28 नेताओं और सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जिनमें एसडीपीआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष एम.के. फैज़ी भी शामिल हैं. आरोप है कि पीएफआई अपने सदस्यों को हथियार चलाने और शारीरिक प्रशिक्षण (Physical Education classes) के ज़रिए जिहादी एजेंडा के लिए तैयार कर रहा था. इससे पहले ईडी ने पीएफआई की करीब 62 करोड़ रुपये की संपत्तियां पहले ही अटैच की थीं. अब कुल मिलाकर इस मामले में अटैच संपत्तियों की कीमत 129 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है.
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