फर्जी वोटर को मतदाता सूची से बाहर करने की चुनाव आयोग का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अवैध तरीके से भारत में रह रहे विदेशी नागरिकों को देश से बाहर करने में मील का पत्थर साबित होगा. बिहार से शुरू की गई इस कवायद को पूरे देश में लागू करने की योजना है. इससे मतदाता सूची भी शुद्ध होगी और आंशिक तौर पर, लेकिन बड़ी तादाद में अवैध विदेशी सरकार की नजर में आ जाएंगे. चुनाव आयोग की योजना राज्य दर राज्य इसे लागू कर पूरे देश की मतदाता सूची को पुख्ता करने की है. यह फैसला आयोग ने सभी राजनीतिक दलों के साथ चर्चा के बाद लिया था. इसके बावजूद विपक्षी दलों की आशंकाओं के चलते मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया. जहां से 28 तारीख की सुनवाई में ग्रीन सिग्नल मिलते ही देशभर में एसआईआर को अंजाम देने की योजना को अमल में लाने पर आयोग कदम बढ़ा देगा. हालांकि चुनाव आयोग के एसआईआर से अवैध तरीके से देश में रह रहे सभी विदेशियों का पता नहीं चल सकेगा. एसआईआर में सिर्फ वही दायरे में आएंगे, जो चुनावी प्रक्रिया को दूषित कर रहे हैं. बहुतेरे ऐसे भी हैं जो फर्जी दस्तावेज रखने के बावजूद एसआईआर जैसी प्रक्रिया से दूर रहते हैं. लेकिन पूरे देश में यह प्रक्रिया निभाए जाने पर अवैध विदेशियों का एक बड़ा प्रतिशत जांच की जद में आ जाएगा. विधि विशेषज्ञों के मुताबिक चुनाव आयोग संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत मतदाता सूची को शुद्ध कर सकता है. यह अनुच्छेद वयस्क मताधिकार के आधार पर चुनावों की गारंटी देता है. इसके अनुसार वोटर भारत का हर वह नागरिक, जो 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र का हो और सामान्य रूप से किसी निर्वाचन क्षेत्र में निवास करता हो, मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने का हकदार है. कुछ शर्तें भी हैं जैसे यदि कोई व्यक्ति गैर-निवासी है, मानसिक रूप से अस्थिर है या अपराध, भ्रष्टाचार या अवैध कार्यों के कारण अयोग्य घोषित किया गया है तो उसे मतदान का अधिकार नहीं मिलेगा. दरअसल यह अनुच्छेद यह सुनिश्चित करता है कि सभी पात्र नागरिकों को निष्पक्ष और समान रूप से वोट देने का अधिकार मिले. ऐसे में आयोग विदेशी, मृत, डबल वोटिंग समेत अन्य विभिन्न स्थितियों के आधार पर मतदाता सूची में सुधार के लिए पुनरीक्षण कराता है.
