फतेहपुर। निजीकरण के विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने शनिवार को जिले के सांसद नरेश उत्तम पटेल को एक ज्ञापन सौंपा। कर्मचारियों ने बताया कि उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के अंतर्गत 42 जनपदों में बिजली के निजीकरण के सम्बंध में निर्णय लिया गया है। जिसको निरस्त किया जाए। बताया कि 1 अप्रैल 2010 को आगरा शहर की विद्युत व्यवस्था निजी संस्था टोरेंट पावर कंपनी को फ्रेंचाइजी के रूप में सौंपी गई थी। उस समय उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के अंतर्गत आगरा शहर का 2200 करोड रुपए का बिजली का राजस्व का बकाया था। निजी कंपनी के करार में यह शर्त है कि यह धनराशि टोरेंट पावर कंपनी वसूल कर पावर कारपोरेशन को देगी और पावर कॉरपोरेशन इसके ऐवज में टोरेंट पावर कंपनी को 10 प्रतिशत प्रोत्साहन धन राशि देगा। लेकिन 15 वर्ष होने जा रहे हैं और टोरेट पावर कंपनी ने यह धनराशि आज तक पावर कारपोरेशन को वापस नहीं किया है। बताया कि पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम में लगभग 41 हजार करोड रुपए बिजली राजस्व का बकाया है और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में लगभग 25 हजार करोड रुपए का राजस्व का बकाया है। निजीकरण की आगरा वाली ही कहानी दोहराई जाती है तो पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में आने वाली निजी कंपनी 41 हजार करोड रुपए और 25 हजार करोड रुपए की धनराशि हडप लेंगी और पावर कॉरपोरेशन को एक झटके में लगभग 66 हजार करोड रुपए की चोट लगेगी। दरअसल निजी कंपनियों की नजर इसी बिजली के बकाए राजस्व पर है। यहां के अलावा अन्य प्रांतों में जहाँ भी बिजली का निजीकरण हुआ है वहां निजी कम्पनी ने बकाए की धनराशि हड़प ली है। कर्मचारियों ने बिजली के निजीकरण के निर्णय को व्यापक जनहित में निरस्त किए जाने की मांग की। इस मौके पर धीरेन्द्र सिंह समेत कई लोग मौजूद रहे।