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पत्नी की प्रताड़ना से तंग आ कर पति ने की आत्महत्या, मरने से पहले लिखे कुछ सवाल:

मामला नागौर के गोटन इलाके के नोखा चांदावता गांव का है।लंबे समय से पत्नी से मनमुटाव चल रहा था पीपाड़ (नागौर) इलाके के खांगटा के रहने वाले मनरूप BSF की 174 बटालियन से रिटायर हुए थे। उनकी पत्नी से मनमुटाव चल रहा था। इसी वजह से उसकी पत्नी पीहर में रह रही थी। मनरूप का आरोप था कि पत्नी की दोनों भाई-भाभी उसे भड़काते थे। इसी वजह से वह आए दिन लड़ाई करती थी। मनरूप की ससुराल नोखा (गोटन), चांदावता गांव में है।LDC के पद पर तैनात था गुरुवार सुबह करीब साढ़े चार बजे मनरूप अपने ससुराल में ही साले पप्पूराम मेघवाल को गोली मार दी। इसके बाद खुद को गोली मारी। दोनों की मौत हो गई है। पप्पूराम नोखा चांदावता की पंचायत समिति में संविदा पर एलडीसी के पद पर कार्यरत था। घटना की जानकारी मिलने पर गोटन थाना पुलिस मौके पर पहुंची। FSL टीम ने सबूत जुटाए। दोनों शवों को गोटन के सरकारी हॉस्पिटल की मॉर्च्युरी में रखवाया गया है।BSF से रिटायर्ट फौजी ने पहले अपने साले को लाइसेंसी पिस्टल से गोली मारी, इसके बाद खुद को भी गोली मार ली। दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। घटना से पहले फौजी ने 6 मिनट का वीडियो भी बनाया था। वीडियो में वह कह रहा है- मेरी पत्नी रोजाना 2 से तीन घंटे अपने घरवालों (पीहरवालों) और बहन-बहनोई से बात करती थी।हत्यारोपी मनरूप ने सुसाइड से पहले फेसबुक पर लंबी पोस्ट लिखी थी। एक-एक शब्द भावुक करने वाले हैं। मनरूप ने लिखा है- एक फौजी के आखिरी शब्द हैं सज्जनों, अखबार की तरह नहीं बल्कि संवेदना से ठीक से पढ़ लेना और शेयर कर देना। शायद किसी की जिदंगी में मेरे दो शब्द काम आ जाए। 20 साल मैंने बीएसएफ में बॉर्डर पर सेवाएं दीं। अव्वल दर्जे का जवान था मैं। हर हालात में अपनी ड्यूटी को अंजाम दिया। कभी थका नहीं, कभी टूटा नहीं। लेकिन, निजी जिंदगी में ऐसा क्या होता है, उस जवान के साथ कि वही जवान रिटायरमेंट के बाद जिंदगी से थक भी जाता है। बुरी तरह से टूट भी जाता है… क्यों ?क्योंकि जिन अपनों को उसने वर्षों से अपने खून-पसीने से पाला है, उन्हीं अपनों के चेहरों से दिखावे का नकाब उतरता है तो वह बर्दाश्त नहीं कर पाता है। उन्हीं अपनों का असली चेहरा और उनका असली रंग देखता है तो फिर वो सच्चा फौजी टूट जाता है। मनरूप ने पोस्ट में लिखा है- सज्जनों… रिटायरमेंट के 20-25 दिन बाद ही घरवाली ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया। बात-बात पर बेवजह लड़ना-झगड़ना और गाली-गलौज करना शुरू कर दिया। हालांकि वह जब से आई तब से लड़ती थी, लेकिन इस बार अंदाज बहुत अलग था। मैं यह बदला हुआ अंदाज देखकर बहुत हैरान था। मैंने मन ही मन विचार किया कि अचानक यह मेरे साथ ऐसा बर्ताव क्यों कर रही है। जब मैंने कारण पता लगाया तो मैं और भी ज्यादा हैरान हो गया।

खर्चे के कैश मिलने बंद हुए तो छटपटाने लगी मनरूप के पोस्ट के अनुसार, पत्नी से विवाद का पहला कारण- जब मैं नौकरी करता था, तब पिछले 6-7 साल से हर महीने घर खर्च के लिए 15 हजार रुपए भेजा करता था। मेरे घर आने के बाद वो बंद हो गया। ऐसे में इसकी मनमर्जी के खर्चे भी बंद हो गए। वह (पत्नी) छटपटाने लगी।दूसरा कारण:  यह (पत्नी) रोज अपने घरवालों और अपने बहन-बहनोइयों से 2-3 घंटा फोन पर बातें करती थी। वो बातें मेरे आने के बाद इसकी बंद हो गई तो यह छटपटाने लगी।तीसरा कारण:  इसका मनमर्जी मायके आना-जाना बंद हो गया तो यह छटपटाने लगी। इसके बाद इसके दो बहन-बहनोई डांगावास और खजवाना वालों ने इसे इतना मिसगाइड किया कि मैं खुद इनकी रिकॉर्डिंग सुनकर हैरान हो गया। वो इसे बोलते- तेरे घर में तेरी चलती नहीं। इसको रोज झगड़ा करके परेशान कर और रोज बदनाम कर।क्योंकि साथियों इन दोनों का इसके साथ की करतूतों का मुझे पता चल चुका था। इन्हें पता था कि ये फौजी है और छोड़ेगा नहीं। इन लोगों ने अपनी औरतों के साथ साजिश रचकर घर तोड़ने की साजिश रची है। इन्होंने बसा-बसाया घर उजाड़ दिया।

 रिटायर्ड फौजी ने लिखा है:  मैंने बहुत बार पत्नी को समझाने की कोशिश की, लेकिन कहां मानने वाली थी। इसकी (पत्नी) ड्रामेबाजी और असलियत के कई वीडियो मेरे मोबाइल में हैं।मैंने इसको बहन-बहनोइयों से बात नहीं करने का बोला, लेकिन नहीं मानी। तब मैंने इसके पास मोबाइल रखवाना बंद कर दिया। इन्होंने मायके बुलाकर मेरी मर्जी के बिना इसे नया फोन दिला दिया। एक दिन फिर यह किसी से बात करती पकड़ी गई तो झगड़ा हुआ और मैंने फोन ही तोड़ दिया। फिर ये दोबारा मायके गई और इस बार झगड़ा करके कुछ दिन मायके रही और इसे वहां बताया गया कि मुझे बदनाम करना। मायके से आते ही इसने झगड़ा किया और फिर गांव में जाकर हल्ला कर मुझे बदनाम किया।

 BSF से रिटायर्ड जवान मनरूप ने लिखा है- मेरी पत्नी ने अपने मायके वालों को फोन कर झूठ बोला कि मेरी कमर तोड़ दी और बंदूक तान दी। इसके बाद इसके दो भाई और भतीजे गाड़ी में लाठी-डंडे लेकर मुझे मारने आए। फिर क्या था साथियों बात अब स्वाभिमान पर आ गई थी। फौजी था डरना तो कभी सीखा ही नही था। अकेला था फिर भी सबकी मरम्मत करके नंगे पांव वापस भेजा।पर सज्जनों इस बार मैं अंदर से बुरी तरह टूट गया। मेरा अब रिश्ते-नातों से मोहभंग हो गया। एक पति के साथ औरत के इस व्यवहार से मैं बहुत आहत हुआ।

तय कर लिया था कि खुद दुनिया से चले जाना है :  पत्नी के व्यवहार को देखकर मैंने अब मन ही मन ठान लिया कि मुझे अब इसे पूरी तरह बर्बाद करके, उन दोनों (बहनोइयों) को ठोककर खुद भी इस दुनिया से चले जाना है। मैंने अपनी जिंदगी में देखा है कि औरत की बेवफाई और घटिया व्यवहार से दुखी होकर बंदा सुसाइड कर लेता है पर औरत को कुछ फर्क नहीं पड़ता। 12 दिन मजबूरी में रोना-धोना करती है फिर अपनी वही चाल पर आ जाती है।नए-नए कपड़े पहनकर घूमना, वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करना इसे शर्म नहीं आती। इसलिए मैं नहीं चाहता कि जीते जी जिस इंसान की इज्जत तक नहीं की, उसके जाने के बाद वो उसकी कमाई इस तरह उड़ाए। यह सोचकर मैंने घर छोड़ दिया।

बच्चों की खातिर नई शुरुआत की सोची थी:  एक-डेढ़ साल जयपुर, जोधपुर रहा। जहां दिल किया घूमा-फिरा, जिंदगी की मौज ली, जहां उड़ाना था उड़ाया। पर सज्जनों.. इसको सबक सिखाने के बदले में बच्चों का ख्याल ही नहीं आया। एक दिन सोचा कि बच्चों की खातिर एक बार फिर कोशिश करके सबकुछ ठीक करके जिंदगी की नई शुरुआत करते हैं।डेढ़ साल बाद तामझाम लेकर वापस घर आया। घर आकर इसको समझाने की बहुत बार कोशिश की। पर इसको कुछ मंजूर नहीं, इसकी अपनी अलग ही दुनिया थी।

 पत्नी ने कहा था: जामनरूप ने लिखा है तेरी जरूरत नहीं, तू अभी मर जामनरूप ने लिखा है- इसकी (पत्नी) दुनिया सिर्फ इसके घरवालों इसके मां-बाप, भाई-भतीजे, बहन-बहनोई, गहने और कपड़ों तक ही सीमित थी। ना इसके लिए पति मायने रखता, ना अपने बच्चे मायने रखते। ना सास, ना ससुराल। लाख कोशिश के बाद भी यह लाइन पर नहीं आई।मैं दुखी होकर फिर अलग हो गया पर इस बार गांव में ही अपने बाड़े वाले मकान में 4-5 महीने इससे अलग रहकर फिर सुधरने का मौका दिया। फिर भी जब यह नहीं सुधरी बल्कि इस बार यह पति की कमाई पर कुछ ज्यादा ही हक जताने लग गई थी। तब मैंने फिर से इसकी बर्बादी की कहानी अपने हाथों से लिखनी शुरू की। क्योंकि इसने मुझे अपने भाई के सामने बोल दिया कि मुझे तेरी जरूरत नहीं, तू अभी मर जा। मैं बच्चों को पाल लूगीं।

बहनों की घटिया सलाह ले डूबी मनरूप ने लिखा- इसके बाद मैंने फिर से इसको बर्बाद करने की ठान ली। मैंने लोन भी लिया ताकि यह पेंशन भी ना उठा सके। साथियों सिर्फ पैसे कमाना मेरा मकसद था ही नहीं, जो कमाया था उसकी भी इज्जत नहीं, कमाने वाले की ही घर में इज्जत नहीं तो फिर क्या करना कमा कर। साथियों यह सिर्फ पति की इज्जत करना और शांति से रहना सीख जाती तो आज यह हश्र नहीं होना था। 25-30 हजार पेंशन थी। 25-30 हजार मुझे कहीं भी मिल जाता। 50-60 हजार बहुत थे। सब ठीक हो जाता। बस इसकी जिद्द, घटिया दिमाग, बहनों की घटिया सलाह इसको ले डूबी।

पत्नी से सवाल- आखिर दो दिन-रात कहां रही मनरूप ने आगे लिखा है- सज्जनों… घर से बच्चों को छोड़कर निकले हुए इसको आज दो-तीन महीने हो गए। 15 अप्रैल को शाम 4 बजे के लगभग यह घर से निकली थी। इसके घर का रास्ता मात्र एक-डेढ़ घंटे का था। पर यह तीन दिन बाद 18 अप्रैल को अपने घर पहुंची। 15 अप्रैल को यह अपने घर जाने की बजाय जोधपुर गई, फिर उस रात को वहीं रिश्तेदार के पास रुकी, पर 16-17 अप्रैल को 2 दिन-रात यह कहां थी? इसका आज तक कोई जवाब नहीं दे पाया? इधर मेरे सब्र का बांध भी टूटता जा रहा था। इसके घर वालो ने  भी नहीं पूछा कि तू ससुराल से निकलने के बाद घर क्यूं नहीं आई। अभी तक कहां थी? उनको जहां इसको हाथों हाथ घर पहुंचते ही वापस लेकर आना चाहिए था, पर वो आज तक उसको पनाह दिए हुए हैं। उन लोगों ने दो-तीन महीनों में एक बार भी आकर बच्चों का हालचाल नहीं पूछा।

कभी मैंने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया : मनरूप ने लिखा है- सज्जनों…. जहां पहले से चोट लगी हो, वहां पर फिर से चोट लग जाए तो दर्द बहुत जोर से होता है। सहा नहीं जाता। कुछ ऐसा ही हुआ मेरे साथ। उसने एक बार भी नहीं सोचा कि उसके इस कदम से क्या गुजरेगी मुझ जैसे एक इज्जतदार इंसान पर।मुझे नहीं पता एक औरत को कैसा पति चाहिए, मैं एक अच्छा-खासा इंसान था। ईमानदार, वफादार, इज्जतदार सामाजिक इंसान था। 20 साल फौज में भी रहा, पर कभी किसी तरह का कोई भी नशा नहीं किया। जिंदगी हमेशा अपने उसूलों और सिद्दांतों से जीने वाला इंसान था मैं। मैंने कभी किसी लोभ, डर या दबाव में अपने उसूलों के खिलाफ समझौता नहीं किया। उसके इस कदम ने मुझे अंदर से झकझोर दिया।

आखिर मैं दिखावा कब तक करता:  एक हंसने-बोलने वाला इंसान टेंशन में खामोश रहने लग गया। एक रोज अपनों से मिलने-जुलने वाला इंसान इज्जत के मारे घर में कैद होकर रहने लगा। एक मजबूत इंसान रोज टूटकर अंदर से मरता जा रहा था। दो महीने में 7 किलो वजन टेंशन में कम हो गया। फिर भी घर आकर मिलने वालों से कभी अपना दर्द साझा नहीं किया, बल्कि उनको जाहिर न हो जाए इसलिए दिखावे में जोश से बातें कर लेता था।मैं जिंदा पकड़ा जाना नहीं चाहता था गोली मारने का पूरा दिल इन दोनों (सालियों) के पति को था, लेकिन टारगेट दूर-दूर थे। मैं जिंदा पकड़ा नहीं जाना चाहता था, इसलिए वो बच गए। 10 राउंड लेकर गया था। चाहता तो इसे (पत्नी) भी मार देता, लेकिन ख्याल आया कि इसे अपने कर्मों की सजा का एहसास कराना जरूरी है। इसको शर्म होगी तो वैसे भी इसे एक दिन सुसाइड करके मरना पड़ेगा। साथ में इन दोनों (सालियों) को भी मरना पड़ेगा। क्योंकि इन दोनों ने अपने पति के साथ मिलकर साजिश रची और हम दोनों को मरना पड़ा।

ये सवाल छोड़ गया रिटायर्ड फौजी : मैं कुछ सवाल इसके (पत्नी) लिए भी छोड़कर जा रहा हूं।तू इतने सालों में भी क्यूं नही सुधरी, क्यूं गद्दारी की तुमने पति के साथ? क्यूं तुमने पति को मरवाने के लिए घरवालों को लाठियां लेकर बुलाया? तुझे पता था मैं इज्जत वाला बंदा हूं। बदनामी वाली तेरी हरकतें सहन नही कर पाऊंगा। फिर भी तुमने दूसरों के कहने पर पति को बदनाम क्यूं किया? क्यूं तू मासूम बच्चों को छोड़कर घर से निकल कर गई? ससुराल से निकलने के बाद तू तीन दिन तक कहां थी? इसका जवाब तुमने मुझे फोन करके तीन महीने में भी क्यूं नहीं दिया? यहां से जाने के बाद तू मेरी मर्जी के बिना उस खजवाने वाले (——–) के पास 15 दिन खजवाना (नागौर) क्यूं रही? तेरे बच्चे और पति तो घर बैठे और तू अकेली इस (—-) के घर हमारे बिना शादी में क्यूं गई? तू वापस घर आने की बजाय तीन महीने से हर दूसरे दिन खजवाना और डांगावास (नागौर) क्यूं जाती रही? क्यूं तुमने सैकड़ों बार गहने खोल-खोल कर फेंके, तुझे मुझसे कोई दिक्कत थी तो मुझे तलाक क्यूं नहीं दिया? क्यूं तुमने अपने इन दोनों बहन-बहनोइयों के साथ मिलकर पति को बदनाम व परेशान करके सुसाइड के लिए मजबूर करके मारने की साजिश रची? क्यूं तुमने दो घर बर्बाद किए? क्यूं तुमने मेरे मासूम बच्चों की जिंदगी बर्बाद की? क्यूं तुमने एक अच्छे-खासे इंसान को अपराध करने के लिए मजबूर किया? मेरे इतने मैसेज करके आगाह करने के बाद भी तू और तेरा घटिया परिवार इस बार क्यूं नहीं समझ पाया मेरा मूड? क्यूं तू हर बार अपने पति को झुकाने की जिद करके अड़ जाती? क्यूं नहीं बन पाई तू एक वफादार पति की खातिर पतिव्रता पत्नी?

इनमें से एक भी सवाल का जवाब तेरे पास नहीं :  तेरे पास पछताने के यही शब्द रह गये कि काश मैं समय रहते सुधर जाती। अब पछताती रहना तू और तेरे वो बहन-बहनोई कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं हैं। जेल से कभी छूट भी गए तो भी कोई तुम्हारी शक्ल देखना पंसद नहीं करेगा। उधर, तेरा बाप सदमे से मर जाएगा। इधर मेरी मां सदमे से मर जाएगी। फिर शर्म होगी तो तू भी सुसाइड करके मरेगी। फिर तेरे बहन-बहनोई सुसाइड करके मरेंगे। फिर इन सबका रोना रोने के बाद तेरी मां भी मर जाएगी। अब यही सब होने वाला है। मेरा अनुभव कहता है देख लेना।

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