जरूरत के सामान सोमवार से जीएसटी के नए स्लैब के मुताबिक घटी हुई दरों पर मिलेंगे। इससे पनीर, घी, साबुन, शैंपू, एसी, कार, मेंथॉल, इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद, कपड़ों आदि की कीमत घटेगी। भवन निर्माण का खर्च बचेगा। ट्रंप टैरिफ से जूझ रहे निर्यातकों ने भी राहत की उम्मीद जताई है।
मेंथॉल का प्रयोग तमाम उत्पाद बनाने में होता है। सस्ते में मिलने से बरेली समेत रुहेलखंड के कारोबारियों को सीधा लाभ मिलेगा। किसानों को भी फायदा होगा। कॉस्मेटिक क्रीम जो अभी 118 रुपये में मिल रही है, 105 रुपये में मिलेगी। उपभोक्ता, उत्पादक, विक्रेता के बीच कैश फ्लो बढ़ेगा।
उपभोक्ता बिल जरूर मांगे, ताकि शिकायत कर सकें
आईसीएआई के पूर्व अध्यक्ष मोहित टंडन के मुताबिक अगर कोई विक्रेता या सप्लायर जीएसटी के नए स्लैब का अनुपालन न करे तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। उपभोक्ता को जीएसटी पोर्टल या नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन नंबर 1800114000, 8800001915 पर बिल की कॉपी के साथ व्यापारी का नाम, पता समेत शिकायत दर्ज करानी होगी। अगर शिकायत सही मिलेगी तो 18 फीसदी ब्याज दर से वसूली होगी और दस फीसदी पेनॉल्टी लगेगी। जीएसटी रजिस्ट्रेशन भी निरस्त हो सकता है।
बुखार, दर्द, एंटीबॉयोटिक, शुगर की दवाएं होंगी सस्ती
दवा कारोबारी दुर्गेश खटवानी के मुताबिक जीएसटी की नई दर से 12 फीसदी पर बिक रही दवाएं अब पांच फीसदी पर मिलेंगी। बताया कि बुखार, दर्द, एंटीबॉयोटिक्स, कोलेस्ट्रॉल, शुगर, बीपी की दवाएं की बिक्री सर्वाधिक होती है। मरीजों को सात फीसदी टैक्स की सीधी बचत होगी। कैंसर की 90 फीसदी और महिला रोगों की करीब 30 फीसदी दवाओं पर जीएसटी शून्य कर दी गई है। इससे इन मरीजों को खासी राहत होगी।
18 सौ रुपये तक सस्ते होंगे 18 हजार के फ्रिज
इलेक्ट्रॉनिक कारोबारी हरीश अरोड़ा के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक्स पर जीएसटी 28 से 18 फीसदी हो गई है। ऐसे में 18 हजार के फ्रिज पर 1,800 रुपये तक की छूट मिलेगी। पहले 5,040 रुपये टैक्स था, अब 3,240 रुपये हो जाएगा। परसाखेड़ा के उद्यमी केके चंदानी के मुताबिक नमकीन आदि उत्पाद पर जीएसटी 12 से पांच फीसदी हो गई है। जो नमकीन का पैकेट पहले 112 रुपये का था वो अब 100 रुपये में मिलेगा।
असमंजस में कपड़ा, गत्ता, कागज, स्टील के कारोबारी
वरिष्ठ उद्यमी अजय शुक्ला के मुताबिक जीएसटी के नए स्लैब से कई ट्रेड के कारोबारियों को कच्चा माल लेने पर 18 फीसदी जीएसटी देनी होगी और तैयार उत्पाद को बेचने पर पांच फीसदी जीएसटी लेनी होगी। इससे 13 फीसदी टैक्स समायोजन का संकट है। इसमें स्टील, गत्ता, कागज कारोबार शामिल हैं। कपड़ों में लहंगा, शेरवानी 2,499 रुपये से एक रुपये ज्यादा कीमत हुई तो 18 फीसदी जीएसटी पड़ेगी।