Breaking News

कश्मीर में ‘प्यारी’ नहीं, ‘पैनी’ हो गईं बिल्लियां! नजाकत छोड़ अब दिखा रहीं नाखून

 

कश्मीर घाटी में पिछले कुछ वर्षों से बिल्ली पालने का चलन तेजी से बढ़ा है। कोई आम बिल्लियों को खाना खिलाकर पाल रहा है, तो कोई विदेशी नस्लों पर हजारों रुपये खर्च कर रहा है। समाज में बढ़ती लोकप्रियता के साथ-साथ धार्मिक मान्यताओं को भी इसका कारण माना जा रहा है। मगर इसी ट्रेंड के बीच बिल्ली के काटने के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। एक साल के भीतर 6000 से ज्यादा कैट बाइट के मामले दर्ज हुए हैं। श्री महाराजा हरी सिंह अस्पताल श्रीनगर (एसएमएचएस) की एंटी-रेबीज क्लिनिक के आंकड़ों के अनुसार जून 2024 से मई 2025 तक कुल 6,095 मामले सामने आए हैं, जबकि पिछले साल ये संख्या 2,824 थी।

कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ. सलीम खान ने कहा कि कोविड के बाद पालतू जानवर पालने का चलन बढ़ा है, लेकिन अधिकांश लोग टीकाकरण, कृमिनाशक व स्वच्छता जैसे आवश्यक मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले तीन वर्षों में एंटी रेबीज क्लिनिक में आने वाले मामलों की संख्या में कई गुना वृद्धि देखी है। आधे से अधिक मामले बिल्लियों के संपर्क में आने से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि सभी मामलों का इलाज राष्ट्रीय रेबीज प्रोफिलैक्सिस दिशा-निर्देशों के तहत निशुल्क किया जाता है।

वेटेनरी विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि पालतू जानवरों की उचित देखभाल न करना जूनोसिस और टोक्सोप्लाज्मोसिस जैसे संक्रमण फैला सकता है, जो गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष रूप से जोखिमपूर्ण है। अधिकारियों ने लोगों से सतर्क रहने और सभी पालतू जानवरों का नियमित टीकाकरण व देखभाल सुनिश्चित करने की अपील की है।

बिल्ली के काटने के मामले (जून 2024 – मई 2025) 

महीना                 मामले
जून 440
जुलाई 440
अगस्त 432
सितंबर414
अक्टूबर486
नवंबर399
दिसंबर514
जनवरी692
फरवरी658
मार्च542
अप्रैल491
मई537
कुल 6,095 

धार्मिक मान्यता… इस्लाम में बिल्ली पालना जायज 
मौलाना मेहराजुद्दीन गनई ने बताया कि इस्लाम में बिल्ली पालना जायज है। हजरत अबू हुरैरा को उनका नाम बिल्लियों से प्रेम के कारण मिला था। इस्लामी मान्यताओं के अनुसार बिल्ली एक स्वच्छ और उपयोगी जानवर है। हालांकि बिना जानकारी के पालतू जानवर पालना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है।

About NW-Editor

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *