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पेयजल का मुख्य आधार रहे कुआं आज इतिहास बनने की कगार पर

 

बांदा। कुछ वर्ष पूर्व बुंदेलखंड में स्थित कुंआ आज इस रूप में नहीं थे लोग उनका रखरखाव बहुत ही जिम्मेदारी के साथ कर रहे थे क्योंकि तब तक मुख्य रूप से पीने के पानी का मुख्य साधन कुआं ही था और ज्यातर सिंचाई भी कुआं के माध्यम से होती थी किन्तु समय के साथ बहुत कुछ बदल गया पानी के लिए कुआं पर निर्भर रहने वाले लोगों ने पानी हासिल करने के लिए बहुत से अन्य तरीकों की खोज कर ली जिसकी जगह हैंडपंप समरसेबल आदि ने ले लिया नतीजतन कुआं आज अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहे हैं धीरे-धीरे उनको पाटकर समतल किया जा रहा है कहीं उनमें घर का कूड़ा कर्कट डाला जा रहा है जिसकी वजह से उनके जल स्रोत बंद हो रहें हैं और उनकी उपयोगिता भी समाप्त हो रही है समाजसेवी सुमित शुक्ला ने बताया कि आज भी लोग बड़ी धूमधाम से कुआं पूजन करते हैं किन्तु यह मात्र क्षणिक भाव होता है तत्पश्चात् वही दूषित मानसिकता दिखाई देती है हम सबको जागना होगा और बुंदेलखंड की धरोहर के रूप में मौजूद कुआं के अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा लोगों में जागरूकता लानी पड़ेगी पर्यावरण के प्रति इनके योगदान को सबको समझाना पड़ेगा बुंदेलखंड क्षेत्र पहाड़ नदियों प्राकृतिक वन सम्पदा की भूमि होते हुए भी उसका लगातार दोहन हो रहा है तो पीड़ा का सबसे बड़ा कारण है समाजसेवी सुमित शुक्ला ने कहा कि अगर सरकार सच्चे मन से काम करें तो बुंदेलखंड स्थित बुंदेलखंड की गौरव बढ़ाने वाले तालाब व कुएं की स्थिति में सुधार आ सकता है

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