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“बांग्लादेश की नदी में बहती मौतें: 750 से अधिक शव, पुलिस भी नहीं जुटा पाई पूरी गिनती”

बांग्लादेश के 3 नदियों से लगातार लाशें निकलने की खबर सामने आ रही है. बांग्लादेश पुलिस का कहना है कि बुरिगंगा, शीतलाक्ष्य और मेघना नदी से उसने 750 शव निकाले हैं. कई ऐसे शव हैं, जिसके बारे में पुलिस को भी कोई जानकारी नहीं है. नदियों से लगातार निकल रही लाशों ने प्रशासन की टेंशन बढ़ा दी है. सरकार और प्रशासन ने शवों की शिनाख्त शुरू कर जांच करने की बात कही है. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कई लाशें तो ऐसी है, जिसकी पहचान करना भी मुश्किल हो रहा है. बांग्लादेश की मजमिन अखबार ने इस पर डिटेल रिपोर्ट की है. अखबार के मुताबिक जिन शवों की बरामदगी पुलिस ने अब तक की है, उनमें अधिकांश बैग में डालकर फेंके गए थे. कुछ शवों के गले में ईंट और पत्थर बांधकर फेंके गए थे.

पुलिस ने कुछ शवों की पहचान की है, जबकि कुछ को बिना पहचान किए ही दफना दिया गया है. पुलिस का कहना है कि ये सभी गायब व्यक्तियों की लाशें हैं. ये कब गायब हुए थे, इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई है. स्थानीय केरानीगंज पुलिस के मुताबिक हर दिन 2-3 लाशें बरामद की जा रही है. आवामी लीग की सरकार के वक्त यह संख्या 5 से ज्यादा था. नदियों से लगातार निकल रही लाशों को लेकर 2 थ्योरी ढाका में चल रही है. इस स्टोरी में इन्हीं 2 थ्योरी को डिटेल में समझते हैं-

1. पुलिस का कहना है कि गुंडे और अपराधी लोगों को अगवा कर मार दे रहे हैं. उनकी लाशों को छुपाने के लिए नदियों में फेंक दे रहे हैं. जब लाशें फूल कर बाहर आ जाती है, तब पुलिस को इसकी भनक लग रही है. सीजीएस के मुताबिक बांग्लादेश में हर माह करीब 87 लोगों का अपहरण हो रहा है. यह आंकड़े 2024 की तुलना में 61 प्रतिशत ज्यादा है.

बांग्लादेश की सरकार अपहरण और उसके बाद की हत्या रोकने में असफल रही है. सरकार के गृह मामले के सलाहकार ने इसे स्वीकार भी किया है.

2. एक थ्योरी यह है कि अधिकांश लाशें शेख हसीना के शासन के दौरान नदियों में फेंका गया था. ह्यूमन राइट्स के मुताबिक हसीना सरकार के दौरान करीब 700 लोग गायब हुए थे. ये लोग कहां और कैसे मारे गए, इसकी जानकारी अब तक यूनुस की सरकार को नहीं मिल पाई है.

वहीं केस को जिस तरीके से पुलिस के अधिकारी सामान्य रूप से ले रहे हैं, उससे यह सवाल और ज्यादा प्रबल हो जा रहा है. 2008 से 2024 तक बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार थी.

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