प्रवीण पाण्डेय बुलंदेलखण्डी।
खागा, फतेहपुर। बुंदेलखंड राष्ट्र समिति ने क्षेत्र के सभी सांसदों से अपील किया कि वे मानसून सत्र में संसद में एकजुट होकर पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग को उठाएं और प्रधानमंत्री से मिलकर जनभावनाओं से उन्हें अवगत कराएं। समिति ने चेताया कि यदि सांसद इस अवसर पर भी चुप रहे, तो वे एक ऐतिहासिक मौका खो देंगे।
बुंदेलखंड राष्ट्र समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण पाण्डेय बुंदेलखंडी ने बताया कि वे अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 42 बार अपने खून से पत्र लिखकर पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष चित्रकूट में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की पांच दिवसीय बैठक में बुंदेलखंड राज्य का मुद्दा गंभीरता से चर्चा में आया था। संघ के शीर्ष नेतृत्व ने भी माना कि क्षेत्र को विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए बुंदेलखंड को उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के प्रशासनिक बंधनों से मुक्त किया जाना जरूरी है। प्रवीण पाण्डेय बुंदेलखंडी ने बताया कि जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य द्वारा संघ प्रमुख मोहन भागवत के समक्ष मुखर होकर बुंदेलखंड राज्य की मांग उठाना अत्यंत प्रशंसनीय और प्रेरणास्पद है। उन्होंने कहा कि अब बारी बुंदेलखंड के सांसदों की है कि वे संसद में इस विषय को सामूहिक रूप से उठाएं और मातृभूमि के प्रति अपने उत्तरदायित्व को निभाएं। उन्हें चाहिए कि वे एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल बनाकर प्रधानमंत्री से मिलें और बुंदेलखंड की सामाजिक-आर्थिक दुर्दशा की सच्चाई उन्हें बताएं। उन्होंने यह भी स्मरण कराया कि पूर्ववर्ती सरकार के दौरान उत्तर प्रदेश विधानसभा में बुंदेलखंड क्षेत्र के सभी 19 विधायक एकजुट होकर पृथक राज्य की मांग उठा चुके हैं, जिसके बाद ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुंदेलखंड विकास बोर्ड का गठन किया था। अब वक्त है कि सांसद भी आगे आएं। प्रवीण पाण्डेय बुंदेलखंडी ने अंत में कहा कि लोकसभा चुनाव से पूर्व ही केंद्र सरकार को बुंदेलखंड राज्य की घोषणा कर जनता से किया गया वादा निभाना चाहिए।
