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वक्फ बिल पर जेपीसी रिपोर्ट पर नड्डा का करारा जवाब

वक्फ संशोधन विधेयक पर जेपीसी रिपोर्ट आज राज्यसभा में सदन के पटल पर रखी गई। सदन में रिपोर्ट पेश होते ही राज्यसभा में विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। विपक्ष के कुछ सदस्य वेल में भी आ गए। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वक्फ बोर्ड पर जेपीसी रिपोर्ट में कई सदस्यों की असहमति रिपोर्ट है। खड़गे ने आरोप लगाया कि जेपीसी में शामिल विपक्ष के सदस्यों ने जो सुझाव दिया था। उसे हटा दिया गया है। मल्लिकार्जुन खरगे ने राज्यसभा में कहा कि वक़्फ़ पर फर्जी रिपोर्ट को हम नहीं मानेंगे। मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि जेपीसी में हमारे विचारों को दबाना सही नहीं है। यह लोकतंत्र विरोधी है। असहमति रिपोर्ट को हटाने के बाद पेश की गई किसी भी रिपोर्ट की मैं निंदा करता हूं। हम ऐसी फर्जी रिपोर्ट कभी स्वीकार नहीं करेंगे। अगर रिपोर्ट में असहमति के विचार नहीं हैं, तो उसे वापस भेजकर दोबारा पेश किया जाना चाहिए।

वहीं, जेपीसी के सदस्य और आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने राज्यसभा में कहा कि वक्फ बोर्ड पर जेपीसी में शामिल विपक्ष के विचारों को हटा दिया गया है। उन्होंने दावा किया कि सरकार ने विपक्ष के सुझाव को कूड़ेदान में फेंक दिया गया है। विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में सदन के नेता जेपी नड्डा ने कहा कि जेपीसी में विपक्ष के सुझावों को डिलीट नहीं किया गया है। विपक्ष का मकसद सदन में चर्चा करना नहीं बल्कि अपने वोट बैंक के लिए नंबर बढ़ाना था। नड्डा ने आरोप लगाया कि विपक्ष तुष्टिकरण की राजनीति कर रहा है। वहीं, राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि मैंने विपक्ष द्वारा उठाई गई चिंताओं की जांच की है। रिपोर्ट से कोई भी बात हटाई नहीं गई है। किस आधार पर ऐसा मुद्दा उठाया जा सकता है?

विपक्ष के सदस्य अनावश्यक मुद्दा बना रहे हैं, जिसमें तथ्य नहीं है। आरोप झूठे हैं। जेपीसी ने नियमों के अनुसार पूरी कार्यवाही की गई। जेपीसी के सभी विपक्षी सदस्यों ने पिछले 6 महीनों में सभी कार्यवाही में भाग लिया। रिपोर्ट के परिशिष्ट में सभी असहमति नोट संलग्न हैं। विपक्ष सदन को गुमराह नहीं कर सकता। किरेन रिजिजू ने कहा कि वक्फ बिल पर जेपीसी रिपोर्ट से कोई डिसेंट नोट नहीं हटाया गया है। सदन से बाहर निकले के बाद सांसद संजय सिंह ने कहा कि मैं JPC का मेंबर था और बहुत अफसोस की बात है कि विपक्ष के नेताओं ने जो अपना विरोध दर्ज कराया, उनका विरोध भी शामिल नहीं किया गया… लोकतंत्र में अलग-अलग पार्टियों को अपनी राय देने का हक है. इतिहास हमें माफ नहीं करेगा। वे आगे गुरुद्वारा, मंदिर और चर्च की जमीनों पर कब्ज़ा करने का बिल लाएंगे।

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