काठमांडू: काठमांडू से 12 किमी दूरी भक्तपुर का ठिमी इलाका। यहां किराए के कमरे से सुबह दो सगी बहनों की लाश मिली। दोनों के गले में नाइलॉन की रस्सी का एक-एक सिरा बंधा था। जबकि रस्सी का बीच का हिस्सा कमरे की छत पर लगे हुक में बंधा मिला। सबसे पहले पड़ोसियों को घटना का पता चला और उन्होंने पुलिस को खबर दी। सुबह के करीब 6:45 बजे पुलिस ने मौके पर पहुंचकर दोनों की डेडबॉडी उतारी और उनकी पहचान की। सृजना की उम्र 14 साल और मेनुका की उम्र 17 साल थी। ये नेपाल के सुर्खेत जिले की रहने वाली थीं। इनके माता-पिता पिछले कई सालों से मुंबई के मीरा भायंदर में रह रहे हैं। दोनों बहनें 27 जून को मुंबई में अपने घर से अचानक गायब हो गईं। पेरेंट्स ने कॉन्टैक्ट करने की कोशिश की तो ये वॉयस मैसेज भेजा कि कमाने के लिए बेंगलुरु जा रही हैं। इसके बाद उनसे कोई कॉन्टैक्ट नहीं हुआ और तकरीबन एक महीने बाद नेपाल में दोनों की डेडबॉडी मिली। अब सवाल उठ रहा है कि आखिर वो नेपाल कैसे पहुंचीं।
मौत से ठीक पहले की इनकी दो रील भी मिली है, जिसे इन दोनों ने खुद शूट नहीं किया था। ऐसे में सवाल है कि आधी रात को रील किसने शूट की और वो अचानक कहां गायब हो गया। इनके साथ रास्ते में दो लड़कों को भी देखा गया था। नेपाल पुलिस उनका भी पता लगा रही है। भले ही पुलिस इसे सुसाइड केस मान रही हो, लेकिन इन तमाम एंगल को देखते हुए जांच कर रही है। भक्तपुर के ठिमी इलाके में जहां दोनों बहनें किराए के घर में रहती थीं, वहां आस-पास और भी कमरे किराए पर उठे हुए थे। यहीं रहने वाले एक युवक ने इन्हें सबसे पहले फंदे पर लटके हुए देखा था।
युवक के बड़े भाई ने बताया कि दोनों बहनों के कमरे में लोहे की ग्रिल वाला गेट लगा है। उससे अंदर सब साफ नजर आता है। मेरे भाई ने उन्हें सबसे पहले फंदे पर लटका देखा। वो ये सब देखकर काफी घबरा गया था और उसने तुरंत मुझे बताया। इसके बाद हमने पुलिस को फोन करके घटना की जानकारी दी।इसके बाद पूरा मामला समझने के लिए हम नेपाल में रह रहे दोनों बहनों के परिवार और रिश्तेदारों से मिले। इनके रिश्तेदार खगेंद्र ने बताया, ‘लड़कियों के पिता वासुदेव कंडेल पिछले 30 साल से मुंबई में रह रहे हैं। बीच-बीच में पर्व और त्योहार पर नेपाल आते-जाते रहते थे।‘ ‘छोटी बहन सृजना के जन्म के बाद वासुदेव परिवार को भी मुंबई ही ले आए। इसलिए वो बचपन से मुंबई के भायंदर में ही पली-बढ़ी थी। वहीं बड़ी बहन मेनुका नेपाल में अपने गांव में रहती थी। उसने वहीं से सीनियर सेकेंडरी का एग्जाम पास किया था। वो सिर्फ नेपाली ही बोलती और समझती थी। जबकि सृजना सिर्फ हिंदी बोल और समझ सकती थी।‘