ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में रविवार को बॉन्डी बीच पर हुए आतंकी हमले को लेकर पुलिस ने बताया है कि दोनों हमलावर बाप-बेटे थे। पुलिस को शक है कि उनका संबंध पाकिस्तानी मूल से है। इस हमले में मरने वालों की संख्या बढ़कर 16 हो गई है, जबकि 45 लोग घायल बताए जा रहे हैं। मृतकों में एक 10 साल की बच्ची और एक इजराइली नागरिक भी शामिल है।
रविवार को बॉन्डी बीच पर यहूदी समुदाय के लोग हनुक्का फेस्टिवल मना रहे थे। इसी दौरान दो आतंकियों ने पास के एक ब्रिज से अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। अचानक हुई गोलीबारी से इलाके में अफरा-तफरी मच गई और लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे।
पुलिस की जवाबी कार्रवाई में 50 वर्षीय साजिद अकरम को मौके पर ही गोली मार दी गई, जिससे उसकी मौत हो गई। उसका 24 वर्षीय बेटा नवीद अकरम गंभीर रूप से घायल है और अस्पताल में भर्ती है।
हमलावरों की पृष्ठभूमि
ऑस्ट्रेलिया के गृह मंत्री टोनी बर्क के अनुसार, साजिद अकरम 1998 में छात्र वीजा पर ऑस्ट्रेलिया आया था। उसने एक ऑस्ट्रेलियाई महिला से शादी के बाद पार्टनर वीजा लिया और वह रेजिडेंट रिटर्न वीजा पर रह रहा था। उसके पास ऑस्ट्रेलियाई नागरिकता नहीं थी।
साजिद का बेटा नवीद अकरम ऑस्ट्रेलिया में ही जन्मा था और वह ऑस्ट्रेलियाई नागरिक है। बताया गया है कि नवीद ने सिडनी स्थित एक धार्मिक शिक्षण संस्थान से कुरान की पढ़ाई की थी। वर्ष 2019 में वह ऑस्ट्रेलियाई सुरक्षा एजेंसी की जांच के दायरे में भी आया था, लेकिन उस समय उसके खिलाफ किसी हिंसक गतिविधि का कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला था।
लाइसेंसी हथियार से की गई फायरिंग
पुलिस के मुताबिक, साजिद अकरम के पास लाइसेंसी हथियार था, जिसका इस्तेमाल वह शिकार के लिए करता था। वह एक गन क्लब का सदस्य भी था और उसके पास कानूनी रूप से कई बंदूकें थीं। घटना के बाद पुलिस ने दोनों के किराए के मकान पर छापेमारी कर हथियार जब्त किए हैं।
बहादुरी की मिसाल
फायरिंग के दौरान अहमद नाम के एक बुजुर्ग ने जान जोखिम में डालकर एक आतंकी को काबू में किया और उससे बंदूक छीन ली। उनकी इस बहादुरी से कई लोगों की जान बच सकी।
नेताओं की प्रतिक्रियाएं
दुनियाभर के नेताओं ने इस हमले की निंदा की है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प सहित कई नेताओं ने इसे यहूदी-विरोधी आतंकी हमला बताया और पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त की।
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस हमले के लिए ऑस्ट्रेलियाई सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया और यहूदी समुदाय की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए।
ऑस्ट्रेलिया में दुर्लभ सामूहिक गोलीबारी
ऑस्ट्रेलिया में बड़े पैमाने पर गोलीबारी की घटनाएं दुर्लभ मानी जाती हैं। 1996 के बाद से यहां सख्त गन कानून लागू हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, हाल के वर्षों में इस तरह की सामूहिक गोलीबारी की घटनाएं बेहद कम रही हैं।
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