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गर्मी की छुट्टियों पर सवाल: समर कैंप की बाध्यता पर प्राचार्य ने जताई आपत्ति

 

– डॉ. देव प्रकाश ने महानिदेशक स्कूल शिक्षा को भेजे पत्र में माध्यमिक शिक्षकों के 31 दिन उपार्जित अवकाश और बारहों महीने विद्यालय खोलने की मांग रखी

लखनऊ/वृन्दावन:  राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत 21 मई से 10 जून तक सभी माध्यमिक विद्यालयों में समर कैंप अनिवार्य किए जाने के निर्णय ने प्रदेश के शिक्षकों में असंतोष पैदा कर दिया है। वृन्दावन के प्रेम महाविद्यालय इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. देव प्रकाश ने महानिदेशक (स्कूल शिक्षा) श्रीमती कंचन वर्मा को पत्र लिखकर ग्रीष्मावकाश (21 मई–30 जून) को पूरी तरह समाप्त करने तथा प्रधानाचार्यों-शिक्षकों को कर्मचारियों की तरह 31 दिन का उपार्जित अवकाश देने की मांग की है।

 

“जब 21 दिन का समर कैंप अनिवार्य है तो विद्यालयों को पूरे 12 महीने खोला जाए और शिक्षकों को भी 31 दिन का अर्जित अवकाश मिले, ताकि वे वर्षभर पारिवारिक दायित्व निभा सकें,” – पत्र में डॉ. देव प्रकाश।

समर कैंप (21 मई–10 जून) के कारण शिक्षक लंबे समय से तय ट्रेन टिकट और पारिवारिक योजनाओं पर खर्च उठा चुके हैं। शिक्षा अधिनियम 1921 के तहत तय भीषण गर्मी के 41 दिन का अवकाश अब प्रभावी नहीं रह जाएगा। लिपिक और चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को पहले से ही 31 दिन अर्जित अवकाश मिलता है; प्रधानाचार्य-शिक्षकों को नहीं। पत्र में सुझाव: मई-जून में ही UP-TET, D.El.Ed., आईटीआई, पॉलिटेक्निक, NEET, इंजीनियरिंग, लोक सेवा आयोग जैसी परीक्षाएं माध्यमिक विद्यालयों में कराई जाएं, ताकि बाकी महीनों में विद्यार्थियों की नियमित पढ़ाई बाधित न हो।

शिक्षक संगठनों का कहना है कि समर कैंप की रूपरेखा पाँच-सात दिन के भीतर सीमित होती तो समस्या इतनी विकराल न होती। “21 दिन का कैंप न तो शिक्षकों की सहमति से है, न विद्यार्थियों के अनुकूल तापमान में,” उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रवक्ता  संगठन ने राज्य-सरकार से “रूझानों के आधार पर लचीली नीति” की मांग दोहराई है।

शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार, समर कैंप का उद्देश्य “खोज-आधारित सीखने और खेल-केंद्रित गतिविधियों” के जरिये विद्यार्थियों के समग्र विकास को बढ़ावा देना है। विभाग उच्च-स्तरीय बैठक में शिक्षकों के अवकाश-संतुलन को लेकर “व्यावहारिक समाधान” पर विचार कर रहा है। हालांकि आधिकारिक बयान अब तक जारी नहीं हुआ।

डॉ. देव प्रकाश का पत्र शिक्षक समुदाय के बीच तेजी से साझा हो रहा है। यदि शासन स्तर पर सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो शिक्षक-संघ जून के पहले सप्ताह में लखनऊ में प्रतिनिधिमंडल भेजकर औपचारिक ज्ञापन सौंपने की तैयारी कर रहा है। उधर, परीक्षाओं का शेड्यूल समायोजित करना उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा और लोक सेवा आयोग सहित कई विभागों के समन्वय पर निर्भर करेगा।

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