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सपना था अमेरिका, हकीकत बनी कर्ज और दर्द की कहानी

अमेरिका से डिपोर्ट किए गए प्रदीप का परिवार गहरे शोक में है.  प्रदीप के घर लौटने के बाद उसकी माता-पिता और दादी को न केवल बेटे की वापसी का दुख है, बल्कि उनपर चढ़े हुए कर्ज का भी भारी बोझ है. प्रदीप को करीब छह महीने पहले जमीन बेचकर और 41 लाख रुपये का कर्ज लेकर अमेरिका भेजा गया था. हालांकि अब परिवार अपनी कठिन आर्थिक स्थिति को लेकर चिंतित है और सरकार से मदद की अपील कर रहा है.

प्रदीप का परिवार बहुत ही गरीब है, और घर की छत अभी भी कच्ची है. प्रदीप के माता-पिता, नरिंदर कौर उर्फ रानी और कुलबीर सिंह, और दादी गुरमीत कौर ने का कहना है कि उन्होंने अपने बेटे को विदेश भेजने के लिए अपनी जमीन बेच दी और भारी कर्ज लिया. वे मानते थे कि प्रदीप का भविष्य अमेरिका में अच्छा होगा, लेकिन अब वह निराश हैं क्योंकि उनका बेटा डिपोर्ट होकर घर लौट आया है.

अमेरिका ने हाल ही में अपनी नई इमिग्रेशन पॉलिसी के तहत 104 अवैध भारतीय प्रवासियों को डिपोर्ट किया है. इस समूह में मोहाली के प्रदीप सहित 205 भारतीय शामिल थे. प्रदीप मोहाली के लालडू के जड़ौत गांव का निवासी है, अपने परिवार की उम्मीदों के साथ अमेरिका गया था, लेकिन वहां की कड़ी नीतियों के कारण उसे वापस भेज दिया गया. प्रदीप ने डंकी रूट से अमेरिका में प्रवेश किया था, जो कि अब उसकी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल साबित हो रही है.

प्रदीप के परिवार ने यह बताया कि उन्होंने बेटे को उज्जवल भविष्य का वादा करते हुए अमेरिका भेजा था, लेकिन अब वह खाली हाथ वापस आ गया है. प्रदीप के परिवार का कहना है कि उनका बड़ा सपना टूटा है और अब वे यह सोच रहे हैं कि इस भारी कर्ज को कैसे चुकाया जाए. परिवार ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है ताकि प्रदीप को रोजगार मिल सके और वे अपने कर्ज को चुका सकें.

कुल मिलाकर, प्रदीप के परिवार के लिए यह समय बहुत ही कठिन है. जहां एक तरफ परिवार अपने बेटे की वापसी से दुखी है, वहीं दूसरी तरफ कर्ज का बोझ उनके सिर पर है. अब प्रदीप का परिवार भारतीय सरकार और पंजाब सरकार से मदद की उम्मीद कर रहा है, ताकि वे अपने बेटे के लिए रोजगार प्राप्त कर सकें और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधार सकें.

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