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ऑपरेशन सिंदूर के बाद चर्चा में आई शर्मिष्ठा पनोली, आखिर क्यों उठाकर ले गई पुलिस?

 

22 साल की शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी ने देश में एक नई बहस छेड़ दी है। सोशल मीडिया पर शर्मिष्ठा पनोली शनिवार को ट्रेंड करती रही और उसके समर्थन में हजारों लोगों ने पोस्ट किए हैं। अहम ये है कि शर्मिष्ठा पनोली को कोलकाता की पुलिस ने गिरफ्तार किया है और ये गिरफ्तारी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा के गुरुग्राम से की गई।

असल में शर्मिष्ठा पनोली के ऊपर कथित तौर पर सांप्रदायिक वीडियो पोस्ट करने के आरोप हैं। उसने हाल ही में सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो डाले थे। वीडियोज में उसकी भाषा अभद्र थी। साथ ही साथ वो पहलगाम हमले और फिर ऑपरेशन सिंदूर के बाद चुप्पी साधने वाले तमाम बड़े लोगों को टारगेट कर रही थी। इसमें कोई दोराय नहीं है कि पहलगाम अटैक पर देश की कई हस्तियां चुप नजर आईं और ऑपरेशन सिंदूर के बाद भी बहुत से दिग्गज लोगों ने उसकी सराहना तक नहीं की। खैर, इससे अलग फिलहाल शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी पर घमासान मचने लगा है।

शर्मिष्ठा पनोली आखिर कौन है?

शर्मिष्ठा पनोली एक सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएटर है। वो पुणे की रहने वाली है और लॉ स्टूडेंट भी है। शर्मिष्ठा पनोली के जिन वीडियोज को लेकर काफी बवाल मचा, उन्हें गिरफ्तारी से काफी पहले हटा चुकी थी। शर्मिष्ठा पनोली ने इंस्टाग्राम पर कथित रूप से आपत्तिजनक पोस्ट को भी हटा दिया था और इंस्टाग्राम के साथ-साथ एक्स पर अपनी टिप्पणियों के लिए माफी मांगी थी।

13 जून तक न्यायिक हिरासत में भेजी गई शर्मिष्ठा पनोली

गिरफ्तारी के बाद इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली को कोर्ट में पेश किया गया था। शर्मिष्ठा के वकील मोहम्मद समीमुद्दीन एएनआई को बताते हैं, ‘हमने अदालत के समक्ष अपनी जमानत याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि अभियोजन पक्ष की ओर से कथित तौर पर इस्तेमाल की गई वस्तुएं, मोबाइल फोन और लैपटॉप पहले ही जब्त कर लिए गए हैं। इसके बाद अदालत ने हमारी प्रार्थना सुनी। अभियोजन पक्ष ने पुलिस हिरासत की प्रार्थना की, जिसे खारिज कर दिया गया। आरोपी (शर्मिष्ठा) को 13 जून 2025 तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।’

शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी पर बीजेपी भड़की

इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी के बाद भारतीय जनता पार्टी भड़की है और पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार पर तुष्टिकरण की राजनीति के आरोप लगाए हैं। सुवेंदु अधिकारी कहते हैं- ‘महुआ मोइत्रा के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है। उन्होंने देवी काली के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की थी, क्या कोई कार्रवाई हुई? उनकी (टीएमसी) सांसद सायोनी घोष ने महादेव के बारे में क्या पोस्ट किया? क्या कोई कार्रवाई हुई? फरहाद हकीम के खिलाफ इतनी एफआईआर हुई हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। कार्रवाई सिर्फ सनातनियों के खिलाफ हुई है। यहां हर किसी को सनातन को गाली देने का लाइसेंस है। ये तुष्टिकरण की राजनीति है। एक खास समुदाय उनका वोट बैंक है और ये तुष्टिकरण के लिए है।’

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