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मित्र के प्रति ईमानदारी, त्याग व सम्मान का भाव है श्रीकृष्ण सुदामा चरित्र प्रसंग

किशनपुर, फतेहपुर। विजयीपुर ब्लाक के सरौली गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में आचार्य ने श्रीकृष्ण और सुदामा के बीच मित्रता पर प्रसंग सुनाया। कहाकि किसी भी परिस्थिति में सच्चा मित्र हमेशा साथ होता है। वृंदावन धाम से पधारे आचार्य नंदजी महराज ने कहा कि जब कृष्ण बालपन में ऋषि संदीपन के पास शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तो उनकी मित्रता सुदामा से हुई थी। कृष्ण एक राजपरिवार में और सुदामा ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए थे। शिक्षा-दीक्षा समाप्त होने के बाद भगवान कृष्ण राजा बन गए वहीं दूसरी तरफ सुदामा के बुरे दौर की शुरुआत हो चुकी थी। बुरे दिन से परेशान होकर सुदामा की पत्नी ने उन्हें राजा कृष्ण से मिलने जाने के मजबूर किया। पत्नी के जिद को मानकर सुदामा अपने बाल सखा कृष्ण से मिलने द्वारिका गए। तब कृष्ण अपने मित्र सुदामा के आने का संदेश पाकर नंगे पैर ही उन्हें लेने के लिए दौड़ पड़े। मित्र सुदामा की दयनीय हालत देखकर भगवान कृष्ण के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। भगवान कृष्ण ने मित्र सुदामा का पैर अपने आंसुओं से साफ कर दिया। यह भगवान कृष्ण का अपने मित्र सुदामा के प्रति अनन्य प्रेम को दर्शाता है। ओमप्रकाश सिंह, जितेंद्र सिंह, पवन सिंह, ननकू सिंह, आशुतोष सिंह, ओमनाथ सिंह, रुद्रपाल सिंह, गोलू आदि रहे।

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