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“वेंकटेश्वर मंदिर मिनी तिरुपति में मची भगदड़, 10 गुना भीड़ ने ली 10 ज़िंदगियां—जानिए 6 बड़ी वजहें”

आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के कासीबुग्गा कस्बे स्थित वेंकटेश्वर मंदिर में हर शनिवार 1,500 से 2,000 श्रद्धालु आते हैं, लेकिन एकादशी और कार्तिक मास होने से भीड़ असामान्य रूप से बढ़ गई थी। यह मंदिर चार महीने पहले ही खोला गया था। इसे प्रसिद्ध तिरुमला वेंकटेश्वर मंदिर की तर्ज पर बनाया गया है, इसलिए इसे ‘चिन्ना तिरुपति’ (मिनी तिरुपति) कहा जाता है। यहां 1 नवंबर की सुबह हुई भगदड़ में 10 मौतें हुई, कई घायल हो गए। हादसा सुबह करीब 11:30 बजे तब हुआ जब श्रद्धालु मंदिर की पहली मंजिल पर बने गर्भगृह की ओर चढ़ रहे थे।

मंदिर निजी स्वामित्व में है। एंडोमेंट्स विभाग के अधीन नहीं आता। हरिमुकुंद पांडा ने अपनी जमीन पर भगवान वेंकटेश्वर का यह मंदिर बनवाया है। यहां एंट्री-एग्जिट का एक ही गेट है। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने बताया कि अगर आयोजन की पुलिस को पहले से सूचना दी गई होती, तो भीड़ को मैनेज करने की योजना बनाई जा सकती थी।

हादसे की 3 तस्वीरें…

6 कारण, जो हादसे के लिए जिम्मेदार…

1. क्षमता से 10 गुना लोग पहुंचे: मंदिर की क्षमता केवल 2,000 से 3,000 श्रद्धालुओं की है, पर एकादशी के दिन करीब 25,000 पहुंच गए।

2. न जानकारी दी, न अनुमति ली: सीएम नायडू ने कहा, पुलिस को पहले से सूचना दी गई होती, तो भीड़ प्रबंधन की योजना बनाई जा सकती थी।

3. इलाका अभी निर्माणाधीन है: श्रद्धालुओं के जमा होने वाला भवन निर्माणाधीन था। निर्माण कार्य चलने से पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम भी नहीं थे।

4. वॉलंटियर्स भी तैनात नहीं थे: भीड़ काबू करने लिए पर्याप्त लोग नहीं थे।

5. न सीसीटीवी, न लाउडस्पीकर: कैमरा या लाउडस्पीकर सिस्टम नहीं था, जो लोगों को दिशा या चेतावनी दे सके।

6. मंदिर निजी भूमि पर: हरिमुकुंद पांडा ने अपनी जमीन पर भगवान वेंकटेश्वर का यह मंदिर बनवाया था।

खुद दर्शन नहीं कर पाए तो मां की सलाह पर पलासा में मिनी तिरुपति बनवाया

मंदिर के प्रशासक हरिमुकुंद पांडा लगभग एक दशक पहले तिरुमला में भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन नहीं कर पाए थे। उन्होंने अपनी निराशा मां से बताई। मां ने उन्हें काशीबुग्गा में अपनी जमीन पर तिरुमला जैसा एक मंदिर बनवाने की सलाह दी। मिनी तिरुपति मंदिर 12 एकड़ में फैला है। इसके रीति-रिवाज और परंपराएं तिरुमाला मंदिर जैसी ही हैं। 6 साल पहले मंदिर बनना शुरू हुआ था। मंदिर परिसर में केवल 3000 लोगों के बैठने की व्यवस्था थी, लेकिन पहली कार्तिक एकादशी में 20-25 हजार लोग जुट गए।

जनवरी में सुधार की बड़ी योजनाएं बनाई थीं, लेकिन कागजों में ही रह गईं

आंध्र के मंदिरों में इस साल तीन बड़ी त्रासदी में 23 मौतें हो चुकी हैं। सीएम नायडू ने इसी साल 8 जनवरी को तिरुपति में भगदड़ के बाद एंडोमेंट्स विभाग (मंदिर प्रबंधन विभाग) के साथ कई लंबी बैठकें की थीं, पर जिन कदमों पर चर्चा हुई थी, उनमें से अधिकतर लागू नहीं किए गए। इसमें रेलिंग लगाना, बैरिकेड्स बनाना, प्रवेश और निकास के अलग रास्ते बनाना आदि शामिल था।

मंदिर प्रशासक पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज

घायलों का इलाज कर रहे एक डॉक्टर ने बताया कि लगभग 30 लोग भर्ती हुए थे। दो लोग खतरे से बाहर हैं, और लगभग 15 से 20 लोगों को मामूली चोटें आई हैं। ज्यादातर लोगों को सांस लेने में तकलीफ की समस्या थी। कई लोगों के हाथ-पैर टूटे हुए थे। सरकार ने हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं। एसपी महेश्वर रेड्डी ने बताया कि मंदिर के प्रशासक हरिमुकुंद पांडा पर ‘गैर-इरादतन हत्या’ (IPC की धारा 304) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

2025 में भगदड़ की बड़ी घटनाएं…

  • 29 जनवरी: महाकुंभ के दौरान 30 लोगों की जान चली गई।
  • 15 फरवरी: नई दिल्ली रेलवे स्टशन पर भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गई।
  • 2 मई: गोवा के शिरगांव में, श्री लैराई देवी मंदिर में वार्षिक जात्रा में लाखों लोग पहुंचे। भगदड़ में 7 श्रद्धालुओं की मौत हो गई।
  • 4 जून:  RCB की पहली IPLजीत पर बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास भगदड़ मचने से 11की मौत हुई थी।
  • 28 सितंबर: तमिलनाडु के करूर में एक्टर विजय की चुनावी रैली में भगदढ़ से 39 लोगों की मौत हो गई।

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