मेघालय: सड़क किनारे चाय और नूडल्स परोसने से लेकर सभी सातों महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटियों को फतह करने का सपना, मेघालय की रिफिनीस वारजरी की कहानी हौसलों की ऊंची उड़ान की कहानी है। 20 साल की पर्वतारोही वारजरी ने हाल ही में दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़कर कीर्तिमान रच दिया है। इसके साथ ही वारजरी मेघालय की सबसे युवा पर्वतारोही बन गई हैं, जो माउंट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ाई कर चुकी हैं।
रिफिनीस अभी भी अपनी मां की चाय की दुकान पर काम करती हैं: रिफिनीस अपनी इस उपलब्धि पर गौरवान्वित हैं, लेकिन साथ ही उन्होंने अपने पैरों को जमीन पर ही रखा है। न केवल शारीरिक सहनशक्ति और मानसिक ताकत, बल्कि उनकी विनम्रता और गर्मजोशी भरे स्वभाव ने भी कई लोगों का दिल जीत लिया है। न्यूज एजेंसी पीटीआई के साथ बातचीत में रिफिनीस ने उम्मीद जताई कि उनकी यात्रा कई लोगों को प्रेरित करेगी, खासकर उन महिलाओं को जो छोटे शहरों या पिछड़े परिवारों से आती हैं और बड़े सपनों का पीछा कर रही हैं। रिफिनीस का जन्म मेघालय के ईस्ट खासी हिल्स जिले के नॉन्गथिमाई इलाके में हुआ था, लेकिन अब रिफिनीस और उनका परिवार शिलॉन्ग के बाहरी इलाके में रहता है। रिफिनीस एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हैं और उनकी मां सड़क किनारे चाय और नूडल्स की दुकान चलाती हैं। वहीं उनके पिता चिकन बेचते हैं।
माउंट एवरेस्ट नापने के बाद: रिफिनीस को कई सम्मान और पहचान मिल चुकी है, लेकिन अभी भी रिफिनीस ने अपने आप को विनम्र बनाए रखा है और वे अभी भी अपनी मां की दुकान पर काम करती हैं। जहां वे टेबल साफ करने से लेकर लोगों को चाय परोसने जैसे काम करती हैं। रिफिनीस ने कहा कि ‘पहाड़ हमें विनम्र रहना सिखाते हैं। जब मैं माउंट एवरेस्ट पर खड़ी थी तो मुझे अहसास हुआ कि हम कितने छोटे और महत्वहीन हैं। ये एक सबक है, जिसे मैं साथ लेकर आई हूं और इसे सभी के साथ साझा कर रही हूं।’