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टर्बुलेंस बना आतंक: हवा में कांपी इंडिगो फ्लाइट, नोज टूटी तो चीख पड़े यात्री

 

श्रीनगर: दिल्ली से श्रीनगर जा रही इंडिगो एयरलाइंस की फ्लाइट 6E 2142 बुधवार शाम जबरदस्त टर्बुलेंस में फंस गई। ओलावृष्टि और खराब मौसम की वजह से फ्लाइट को श्रीनगर एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी। विमान में 227 यात्री सवार थे, जो इस खौफनाक अनुभव के बावजूद पूरी तरह सुरक्षित हैं। फ्लाइट जैसे ही टर्बुलेंस में फंसी, यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई। केबिन में तेज झटकों के कारण सामान गिरने लगा और लोग चीखने-चिल्लाने लगे। क्रू ने तुरंत यात्रियों को सीट बेल्ट बांधने के निर्देश दिए। इसके बाद पायलट ने श्रीनगर एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) को स्थिति की जानकारी दी और विमान की सुरक्षित आपात लैंडिंग कराई।
विमान का अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त
इमरजेंसी लैंडिंग के बाद जब विमान की जांच की गई तो सामने आया कि इसका नोज कोन यानी अगला हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका था। एयरलाइंस ने विमान को “AOG” (Aircraft on Ground) घोषित कर दिया है, यानी अब यह विमान उड़ान भरने की स्थिति में नहीं है। हालांकि एयरलाइंस ने साफ किया है कि यह स्थिति ओलावृष्टि के चलते बनी, लेकिन नोज कोन के टूटने की सीधी वजह नहीं बताई गई है।
यात्रियों ने साझा की घटना की भयावहता
फ्लाइट में मौजूद एक यात्री ने केबिन के अंदर का वीडियो भी साझा किया है, जिसमें टर्बुलेंस के दौरान का भयावह मंजर देखा जा सकता है। तेज झटकों और चीख-पुकार के बीच जब लैंडिंग सुरक्षित हुई तो यात्रियों ने राहत की सांस ली। कई यात्रियों ने पायलट की सूझबूझ और साहस की तारीफ की।
क्या होता है टर्बुलेंस?
टर्बुलेंस यानी वायु में अस्थिरता का वह अनुभव, जब विमान को उठाने वाली हवा के बहाव में बाधा उत्पन्न होती है। इससे विमान ऊपर-नीचे डगमगाने लगता है और यात्री असहज महसूस करते हैं। हल्के टर्बुलेंस में विमान 1 मीटर ऊपर-नीचे होता है, जो यात्रियों को महसूस भी नहीं होता। मध्यम टर्बुलेंस में यह उतार-चढ़ाव 3-6 मीटर तक होता है, जबकि गंभीर टर्बुलेंस में विमान 30 मीटर तक ऊपर-नीचे हो सकता है। गंभीर टर्बुलेंस के दौरान अगर यात्री सीट बेल्ट नहीं लगाए होते हैं तो उन्हें चोट लगने की आशंका रहती है।
क्या टर्बुलेंस से विमान क्रैश हो सकता है?
हालांकि आधुनिक विमानों की संरचना इस तरह की जाती है कि वे सामान्य और मध्यम टर्बुलेंस को झेल सकें, फिर भी कुछ दुर्लभ मामलों में टर्बुलेंस जानलेवा भी साबित हो सकता है।
कुछ ऐतिहासिक घटनाएं इस खतरे की पुष्टि करती हैं:
1994: US एयर फ्लाइट 1016 आंधी-तूफान से पैदा हुए टर्बुलेंस के चलते लैंडिंग के दौरान क्रैश हुई, 37 मौतें।
1999: अमेरिकन एयरलाइंस की फ्लाइट 1420 रनवे से फिसल गई, 11 लोगों की जान गई।
2001: अमेरिकन एयरलाइंस फ्लाइट 587 वेक टर्बुलेंस के कारण टेकऑफ के तुरंत बाद क्रैश हुई, सभी 260 यात्रियों की मौत।
हालांकि आज के दौर में ऐसी घटनाएं बेहद दुर्लभ हैं क्योंकि पायलटों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है और मौसम पूर्वानुमान तकनीक बेहद उन्नत हो चुकी हैं।
एयरलाइंस का बयान
इंडिगो की ओर से जारी बयान में कहा गया, “हम पुष्टि करते हैं कि फ्लाइट 6E 2142 टर्बुलेंस की चपेट में आ गई थी। सभी यात्री और क्रू सुरक्षित हैं। विमान को श्रीनगर एयरपोर्ट पर सुरक्षित उतार लिया गया है।”
227 यात्रियों की जान बाल-बाल बची, जो पायलट की सतर्कता और विमान तकनीक की मजबूती का प्रमाण है। घटना के बाद विमान की तकनीकी जांच जारी है और DGCA (नागर विमानन महानिदेशालय) ने भी इस मामले पर रिपोर्ट मांगी है।

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