महिला डॉक्टर को लगाया 14.5 लाख का चूना, फंसाने का तरीका जानकर दंग रह जाएंगे

नई दिल्ली: न्यू राजधानी एन्क्लेव इलाके में नशा, मानव तस्करी और धनशोधन में 65 वर्षीय महिला चिकित्सक को संलिप्त बताकर 14.5 लाख रुपये ठग लिए। जालसाजों ने पीड़िता से कूरियर कर्मचारी, पुलिस अधिकारी और सीबीआई कर्मचारी बनकर बात की और झांसे में लिया। पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। पुलिस अधिकारी के मुताबिक, पीड़िता ज्योत्सना अग्रवाल न्यू राजधानी एन्क्लेव में बेटी के साथ रहती हैं। उन्होंने बताया कि गत 18 नवंबर को उन्हें एक कूरियर कंपनी के कर्मचारी का कॉल आया। उसने बताया कि उनके नाम से कंबोडिया निवासी जॉन डेविड को एक पार्सल भेजा गया है। पार्सल में 150 ग्राम एमडीएमए (ड्रग्स) के साथ पासपोर्ट, 3 एटीएम कार्ड और लैपटॉप मिला है। पार्सल भेजने वाले में पीड़िता का नाम और आधार नंबर दर्ज है। पीड़िता ने ऐसे किसी मामले में संलिप्तता से इनकार किया तो आरोपी ने कहा कि वह मुंबई के अंधेरी पुलिस थाने में इसकी सूचना दे रहा है।

कूरियर कर्मचारी की कॉल के कुछ घंटों बाद फर्जी पुलिस अधिकारी का कॉल आया। उसने पीड़िता से उनके आधार कार्ड की फोटो व्हाट्सऐप पर मांगी। उसे देख आरोपी ने बताया कि उसका आधार नंबर 18 अन्य ऐसे ही मामलों में दर्ज है। कुल 108 लोगों की सूची बनाई गई है और मुख्य आरोपी संजय ने उसके खिलाफ बयान भी दिया है। लोगों को कंबोडिया ले जाकर उनके शरीर के अंग बेचे गए हैं और उसके खाते में 18 लोगों ने रुपये भी डाले हैं। यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है, इसलिए वह सीबीआई अधिकारी को कॉल ट्रांसफर कर रहे हैं। इसके बाद अलग शख्स ने बात की।

वीडियो कॉल पर आरोपी ने पीड़िता को कुछ कागजात भेजे। इससे पीड़िता भ्रमित हो गईं और आरोपी ने उनके सारे बैंकों की जानकारी ले ली। उन्हें रुपये भेजने को कहा और बताया कि वह बैंक खातों का तब तक इस्तेमाल नहीं कर सकती, जब तक छानबीन पूरी न हो जाए। पीड़िता ने दो बार में 14.5 लाख रुपये आरोपियों के दिए खाते में भेज दिए।

फर्जी सीबीआई अधिकारी बनकर आरोपी ने पीड़िता को मुंबई में 90 दिन की पुलिस हिरासत में पूछताछ की बात कही। बाद में उन्हें वीडियो कॉल का विकल्प दिया। उसने किसी को कुछ भी बताने पर जान का खतरा बताया। आरोपी ने कहा कि एक व्यापारी ने अपने भाई को इसके बारे में बताया था तो गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी।

आरोपियों ने 18 नवंबर को वारदात को अंजाम दिया था। पीड़िता को सोचने-समझने का भी समय नहीं दिया। इसके बाद देर रात जब पीड़िता की बेटी घर लौटीं तो उन्होंने सारी कहानी बताई। इस पर बेटी ने पीड़िता के साथ हुई ठगी के बारे में उन्हें बताया और एनसीआरपी पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई। बाद में शिकायत को जिला साइबर थाने में दर्ज कर लिया गया।

 

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