महिलाओं में बढ़ा अधिवक्ता बनने का क्रेज़ वकालत के पुरुष प्रधान पेशे को अपना रही बेटियां किसी ने समाजसेवा करना बताया तो किसी ने पावर को सराहा

फ़तेहपुर। बरसो तक अधिवक्ता के पुरुष प्रधान पेशे को जनपद कि बेटियां जमकर अपना रही है। पहले दीवानी कचहरी व कलेक्ट्रेट में जहाँ गिनी चुनी महिला अधिवक्ता देखने को मिलती थी वही जनपद में कई ला कालेजो की स्थापना होने के साथ ही महिलाओं में अधिवक्ता बनने के प्रति लालसा भी दिखाई देने लग रही है। जानकार महिलाओं के इस पेशे से जुड़ने की अलग-अलग वजह बताते है जबकि नई नई पेशे से जुड़ी हुई महिला अधिवक्ताओं की अपने अलग ही विचार है। अधिवक्ताओं के रूप के महिलाओं की संख्या बढ़ने से महिलाओं से जुड़े मामलों की पैरवी व उनकी समस्याओ के निस्तारण में निःसन्देह आसानी होगी। महिलाएं इस पेशे से जुड़कर न सिर्फ अपने आपको आत्मनिर्भर पाती है बल्कि उनके खुद के सम्मान में भी चार चांद लगाती है। पैसे व शोहरत से भरपूर इस पेशे में रसूख के साथ-साथ लाईमलाइट भी है और गरीबो कमज़ोरों की आवाज़ बनकर उन्हें न्याय दिलाकर उनकी मदद करके समाजसेवा की अनुभूति भी देता है। जनपद में लगभग आधा दर्जन से अधिक महाविद्यालय है जहां छात्र-छात्राएं बीए एलएलबी व एलएलबी की डिग्री हासिल करने के लिये पढ़ाई कर रहे है।

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