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रमजान माह में कई गुना बढ़ जाता इबादतों का सवाब

– आपसी भाईचारा कायम रखते हुए सभी त्योहार मनाएं
-काजी शहर फरीद उद्दीन कादरी।
फतेहपुर। इस्लामी कैलेंडर के 12 महीनों में एक माह रमज़ानुल मुबारक का होता है। इस माह में तीस रोजे रखे जाते हैं। इस माह को तीन भागों में बाटा गया है जिसमें रहमत, मगफीरत व जहन्नम से आजादी का परवाना शामिल है। यह बात काज़ी शहर कारी फरीद उद्दीन कादरी ने कही। उन्होने बताया कि अरकाने इस्लाम में रोज़ा भी एक रुकन है। जो रमज़ानुल मुबारक के महीने में फर्ज किया गया और रोज़ा ऐसी इबादत है जो पहले नबियों कीं उम्मतो पर फ़र्ज़ होती चली आई है। ये और बात है कि उम्मते मोहम्मद सल्लल्लाहो अलेहि वसल्लम की उसे मुकम्मल एक माह के रोज़ों का मौका मयस्सर हुआ और वो भी हर ज़माने में खवाह गरमी हो या सर्दी या बरसात, ये उम्मते मोहम्मद सल्लल्लाहो अलेहि वसल्लम कीं खुसूसियत है। उन्हें हर जमाने में रोजा रख कर फाएदा उठाने का हुक्म दिया गया है। काज़ी शहर श्री कादरी ने कहा कि इस माह की इबादतों का सवाब कई गुना ज्यादा हो जाता है। नफिल नमाज़ का सवाब फ़र्ज़ के बराबर और फर्ज का सवाब 70 गुना ज्यादा होता है। इसी माह में एक रात है जो हज़ार महीने कीं रातो की इबादतों से अफजल है। इसी रात अल्लाह तआला का मुकद्दस कलाम कुरआन पाक नाजिल हुआ। इसी माह खास नमाज़ 20 रकात तरावीह भी पढ़ी जाती है इसलिए मुस्लिम समाज के लोगों को चाहिए कि कसरत से इबादत करें। उन्होंने लोगों से अपील किया कि इसी माह बिरादराने वतन का त्योहार होली भी है। लिहाजा आपसी भाईचारा कायम रखते हुए सभी त्योहारों को मनाएं।

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